दैनिक सदभावना पाती
पूनम शर्मा
Private B.Ed College in Indore। प्रदेश में शिक्षा माफिया किस कदर हावी है, इसका प्रमाण ग्वालियर के झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज से शुरू हुई जांच में सामने आया। यह केवल ग्वालियर तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि इंदौर के बीएड कॉलेजों की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। दैनिक सदभावना पाती और अन्य मीडिया के खुलासों ने शिक्षा के नाम पर चल रहे इस बड़े फर्जीवाड़े को उजागर किया है। यह समय है कि इन सभी मामलों की व्यापक और निष्पक्ष जांच की जाए, ताकि शिक्षा प्रणाली को माफियाओं के चंगुल से बचाया जा सके।
ग्वालियर में जांच का चौंकाने वाला खुलासा
शिवशक्ति कॉलेज, झुंडपुरा में हुए फर्जीवाड़े के बाद अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन के आदेश पर ग्वालियर जिले के 137 कॉलेजों की जांच शुरू की गई। पहले दिन 37 कॉलेजों की जांच में 22 ऐसे पाए गए जहां न प्राचार्य थे, न शिक्षक, और न ही छात्र। इन कॉलेजों में केवल इमारतें थीं, जिनमें शैक्षणिक गतिविधियों का कोई निशान नहीं था।
कई कॉलेजों में स्टाफ की नियुक्ति कागजों पर दिखाकर उन्हें वेतन दिया जा रहा है। वास्तविकता में यह स्टाफ कॉलेज में कार्यरत नहीं है, बल्कि कहीं और काम कर रहा है। वेतन भी कागजों पर नियमों के अनुसार दिखाया जाता है, जबकि हकीकत में उन्हें कम भुगतान किया जा रहा है।
छात्रों की स्थिति भी अलग नहीं है। कई कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति केवल कागजों तक सीमित है। जांच में पता चला कि ये छात्र अन्य पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर रहे हैं या नौकरी कर रहे हैं। इन सबके बावजूद फर्जी अटेंडेंस लगाई जाती है और कागजों में नियमित कक्षाओं का दिखावा किया जाता है।
इंदौर के बीएड कॉलेजों की गंभीर स्थिति
ग्वालियर की जांच से प्रेरणा लेकर इंदौर के बीएड कॉलेजों की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। इंदौर में भी कई बीएड कॉलेज ऐसे हैं, जो केवल कागजों पर चल रहे हैं। छात्रों की वास्तविक उपस्थिति, स्टाफ की गुणवत्ता, और शैक्षणिक मानकों की घोर अनदेखी की जा रही है।
दैनिक सदभावना पाती के स्टिंग ऑपरेशन में यह सामने आया कि कई कॉलेज खुलेआम नॉन-अटेंडिंग प्रवेश की पेशकश कर रहे हैं। यह फर्जीवाड़ा शिक्षा की गुणवत्ता को खत्म कर रहा है और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
जांच में सामने आई अनियमितताएं
स्टाफ की फर्जी नियुक्ति: कागजों पर शिक्षकों और प्राचार्य की नियुक्ति दिखाकर मान्यता ली जाती है। लेकिन ये लोग कॉलेज में कार्यरत नहीं होते।
छात्रों की फर्जी उपस्थिति: छात्रों की नियमित कक्षाएं नहीं होतीं। उनकी अटेंडेंस केवल कागजों पर दिखाई जाती है।
कागजी संबद्धता: विश्वविद्यालयों द्वारा ऐसे कॉलेजों को संबद्धता दी जाती है, जो केवल कागजों पर शैक्षणिक मानकों का पालन करते हैं।
वित्तीय फर्जीवाड़ा: शिक्षकों और स्टाफ को कम वेतन देकर कागजों पर अधिक दर्शाया जाता है।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कॉलेजों की जांच की मांग
ग्वालियर के बाद इंदौर के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से संबद्ध बीएड कॉलेजों की स्थिति की भी जांच आवश्यक है। दैनिक सदभावना पाती ने पहले भी इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन शिक्षा माफियाओं ने प्रभाव और धनबल से इसे दबा दिया। अब यह जरूरी हो गया है कि सभी कॉलेजों की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए।
शिक्षा माफिया का बढ़ता प्रभाव
शिक्षा माफिया ने फर्जी डिग्रियों, फर्जी स्टाफ, और फर्जी छात्रों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को बदनाम कर दिया है। ग्वालियर और इंदौर जैसे बड़े शहरों में यह फर्जीवाड़ा अधिक बढ़ गया है, जहां शिक्षा माफिया बड़े नेटवर्क के साथ सक्रिय हैं।
सरकार की जिम्मेदारी और कार्रवाई की जरूरत
ग्वालियर और इंदौर के मामलों ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा माफिया को खत्म करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने ग्वालियर में कार्रवाई का वादा किया है, लेकिन इसे केवल ग्वालियर तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
निष्कर्ष: शिक्षा प्रणाली को बचाने की आवश्यकता
ग्वालियर और इंदौर के बीएड कॉलेजों में हुए खुलासों ने प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह समय है कि इन माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। उच्च शिक्षा विभाग को तुरंत स्वतंत्र जांच दल बनाकर पूरे प्रदेश में ऐसे कॉलेजों की जांच करनी चाहिए। यदि यह कार्रवाई समय पर नहीं की गई, तो शिक्षा की साख और छात्रों का भविष्य दोनों ही खतरे में पड़ जाएंगे।
दैनिक सदभावना पाती द्वारा बीएड कॉलेज पर खुलासों ने शिक्षा के नाम पर चल रहे इस बड़े फर्जीवाड़े को पहले उजागर किया गया है ख़बरें पड़ने के लिए निचे लिंक क्लिक करें ।
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ख़बर 2 – पूरी सुविधा: फीस भरो घर बैठो, सिर्फ परीक्षा देने आ जाना कोई रोकटोक नहीं