राहुल माफी मांगो के नारे के बीच संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित

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sadbhawnapaati
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बचाव में उतरे कांग्रेस नेता शशि थरूर बोले उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है कि माफी मांगनी पड़े  
National News in Hindi।शुक्रवार को फिर से दोनों सदनों में शुरुआत होते ही हंगामा होने लगा और अंत में सोमवार तक के लिए कार्यवाही स्थगित की गई हैं। लोकसभा में इस दौरान कांग्रेस के दोनों पूर्व अध्यक्ष सोनिया और राहुल गांधी दोनों मौजूद थे। राहुल माफी मांगो के नारे लगाकर भाजपा के कई सांसद वेल में आ गए और हंगामा करने लगे। दोनों सदनों के स्पीकरों की ओर से शांति बनाए रखने की अपीलें भी बेकार साबित हुईं। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों को सोमवार तक के लिए स्थगित किया गया।
राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात कर अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा है। हालांकि आज उनकी ओर से कोई नोटिस दिए जाने की जानकारी नहीं मिली। संसद में किसी मुद्दे पर बात रखने के लिए सदस्य को स्पीकर को नोटिस देना होता है। इसकी मंजूरी मिलने के बाद ही वह संबंधित सदन में अपना पक्ष रख सकते हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने फिर से राहुल गांधी पर हमला कर कहा कि राहुल गांधी को अपने भाषण पर माफी तो मांगनी  होगी।
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि राहुल गांधी को यदि कोई झगड़ा करना ही है, तब देश में करें। उनके खिलाफ हमने जो कहा है, वहीं देश की भावना है। राहुल चुनावी नतीजों को देखकर भी यह बात समझ सकते हैं। इसके पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी से माफी की मांग की। हालांकि कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई है, कि राहुल गांधी की माफी का सवाल ही नहीं उठता।
राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को दो दिवसीय एक कार्यक्रम का आगाज हुआ। कार्यक्रम में कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्लोमैट शशि थरूर ने अम्बेडकर और समावेशन विषय पर अपनी बात रखी। राहुल गांधी के माफी के सवाल पर थरूर ने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिससे उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उनसे उस बात पर माफी की मांग की जा रही है जो उन्होंने कही ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि ये हमारी समस्या है और हम इसका समाधान करेंगे। लोकतंत्र में हर किसी को अपने बात रखने का अधिकार है। अगर किसी को माफी मांगनी चाहिए तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं, जिन्होंने कई बार विदेश में कहा कि 60 साल में देश में कुछ नहीं हुआ। उन्होंने विदेशी धरती पर भारत की पुरानी सरकारों की आलोचना की। थरूर ने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में अभी तक लगातार हो रहे व्यवधान पर भी चिंता जताई और कहा कि कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
संविधान और उसमें मिले अधिकारों का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा कि भारत एक ऐसा देश और जहां विभिन्न धर्म, जाति, संप्रदाय के लोग रहते हैं और सबको संविधान से समान अधिकार मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि 23 भाषाएं संविधान में हैं और कई और भाषाएं देश में बोली जाती है। इतनी विविधता में एकता औऱ कहां देखने को मिलेगी। इस तरह की अनेकता हमें सबसे अलग बनाती है। वह देश जहां से एक सभ्यता का जन्म हुआ हुआ, वहां राष्ट्रवाद वो है जिसमें संविधान से अधिकार मिले हैं। एक लोकतंत्र वो होता हैं, जहां समावेशन होता है। थरूर ने ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर 1991 के आर्थिक सुधारों का जिक्र किया और कहा कि आजादी के बाद जो बदलाव यहां हुए वो सब यहां के लोकतंत्र की वजह से हुए हैं।

 

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