राफेल के भारत पहुंचने का काउंटकाउन खत्म | अंबाला एयरबेस के आसपास कड़ी चौकसी, ड्रोन कैमरे पर भी रोक यूएई के अल धफरा एयरबेस से उड़ान भरने के बाद लड़ाकू विमान सीधे हरियाणा के अंबाला स्थित एयरबेस पर हुए लैंड |
राफेल की अगवानी के लिए वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद रहें । फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आज 5 राफेल पहली बार भारत की सरजमीं पर उतरेंगे। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है। हमारी सरहदों के ये रखवाले अंबाला एयरबेस पर उतरेंगे। एटमी हथियार ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है| राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। इसकी रेंज 150 किमी है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है। राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है। राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं, जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है। राफेल में लगी हैमर highly agile modular munition extended range एक मीडियम रेंज मिसाइल है। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। यह लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।
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