इसी कारण इस महीने में मुस्लिम समाजजन रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं। रमजान के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने सुबह से शाम तक उपवास करते हैं फिर इफ्तार के बाद खास तरह की नमाज अदा की जाती है।
क्या होता है सहरी और इफ्तार?
रमजान माह में सूरज उगने से पहले खाना खाया जाता है, जिसे सहरी कहते हैं। सहरी के बाद दिन भर रोजा रखा जाता है यानी कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता। फिर शाम को सूरज ढलने के बाद नमाज पढ़ते हैं और रोजा खोलते हैं। इसे ही इफ्तार या इफ्तारी कहा जाता है। जानिए इस महीने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
1. रोजे का खास कायदा यह है कि सूरज निकलने से पहले सहरी कर के रोजा रखा जाता है। जबकि सूरज डूबने के बाद इफ्तार होता है। जो लोग रोजा रखते हैं वो सहरी और इफ्तार के बीच कुछ भी नहीं खा-पी सकते।
2. रोजे का मतलब सिर्फ अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही नहीं है। इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। इसका मतलब ये है कि कुछ बुरा न देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें।
3. रोजे के दौरान मन में बुरे विचार या शारीरिक संबंधों के बारे में सोचने की भी मनाही होती है। शारीरिक संबंध बनाने से रोजा टूट जाता है।
4. रोजा रखने वाले को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर न निगलें। नहीं तो रोजा टूट जाता है।
5. इस्लाम में कहा गया है कि रोजे की हिफाजत जुबान से करनी चाहिए। इसलिए किसी की बुराई नहीं करनी और किसी का दिल न दुखे इसलिए सोच-समझकर बोलना चाहिए।