धार्मिक स्थानों को भी Unlock किया जाए- Pandit Abhishek Dubey

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कोरोना काल में जहां 23 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन हुआ और उसके बाद चरणबद्ध तरीके से अनलॉक होना चालू हुआ आज प्राय प्राय सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुल चुके हैं और अन्य गतिविधियां भी और पूर्ववत चालू हो चुकी है |

ऐसी स्थिति में धार्मिक स्थानों का ना खुलना धर्म प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है, उनकी तरफ से लगातार मांग की जा रही है कि धार्मिक स्थानों को भी अनलॉक किया जाए इसी संदर्भ में पंडित अभिषेक दुबे (जीतू गुरु ) क्या कहते हैं पढ़िए-

धार्मिक स्थानों को भी Unlock किया जाए- Pandit Abhishek Dubey

आज इस कोरोना काल में महामारी के समय सभी मंदिर बंद है क्यों क्या लगता है आपको ?

क्या मंदिर बंद करने से यह बीमारी नहीं बढ़ेगी आज यह बीमारी हर जगह हाथ पसार रही है जहां दिन में 2 केस आते थे अब एक लाख केस आ रहे हैं यह कहां से आ रहे हैं ?

धर्म स्थान जहां सभी जाति के लोग इकट्ठे होते हैं वह तो बंद है फिर यह बीमारी कहां से आ रही है और मंदिर बंद रखने का अभिप्राय क्या है ?

ओमकारेश्वर खुला वहां से तो कोई केस नहीं आया उज्जैन का मंदिर खुला वहां भी कोई केस नहीं आया फिर बाकी मंदिरों से क्या परेशानी है |

यह ज्योतिर्लिंग है बड़े-बड़े मंदिर है ,बड़ा ट्रस्ट है, वह अपने हिसाब से मंदिर खोल रहे हैं छोटे मंदिर चलाने वाले पुजारी परिवार अपना गुजारा कहां से चलाएगा |

एक वैज्ञानिक तरीका है की मंदिर जाने से आदमी में आत्म बल बढ़ता है ध्यान एकाग्र होता है, घंटी बजाने से दीपक लगाने से पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है |

हवन पूजन से पोलूशन दूर होता है इन सभी के पीछे कहीं ना कहीं वैज्ञानिक तर्क है आदमी का विल पावर बढ़ाने का एक सटीक स्थान मंदिर फिर इस महामारी के समय यह बंद क्यों ?

गाइडलाइन जारी हो सभी धर्म प्रेमी जनता मंदिर के बाहर से दर्शन करें, मंदिर में शुद्धता की सारी व्यवस्था वहां के पुजारी एवं मंदिर के सदस्य लोगों को सौंपी जाए |

आज यहां महामारी बड़ी तेजी से पूरे विश्व में फैल रही है ऐसे समय इस लाइलाज बीमारी को दूर करने की शक्ति मंदिर से ही मिलेगी मंदिर ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मनुष्य दुनिया के सारे विकार छोड़ के एकत्रित मन से भगवान को पूजता है |

इस समय इस महामारी मैं एकाग्र होना बहुत जरूरी है बस अब मंदिर खोलना चाहिए 24 मार्च से सभी भारत के छोटे बड़े अधिकतर मंदिर के पट बंद है हर समस्या में व्यक्ति छोटी हो या बड़ी भगवान के दरबार ही जाता है |

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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