सरसों तेल थोक भाव से 148 रुपये किलो में बैठता है और इसका खुदरा भाव अधिकतम 155-160 रुपये लीटर (एक लीटर में 912 ग्राम तेल) से अधिक नहीं बैठना चाहिए। सरकार खुदरा कीमतों पर निगरानी रखने की जरूरत है
आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेल कहीं सस्ते हैं और ऊंचा भाव होने के कारण अधिकांश तेल-तिलहनों की मांग कमजोर है। सरसों की आवक अधिक रहने से इसके तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट आई। सरसों तेल थोक भाव से 148 रुपये किलो में बैठता है और इसका खुदरा भाव अधिकतम 155-160 रुपये लीटर (एक लीटर में 912 ग्राम तेल) से अधिक नहीं बैठना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि सरकार खुदरा कीमतों पर निगरानी रखे तो तेल क्षेत्र की आधी समस्या सुलझ जाएगी।
बता दें विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई। बिनौला, सीपीओ और पामोलीन सहित बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा। वहीं, इंदौर के संयोगितागंज अनाज मंडी में बुधवार को चना कांटा 25 रुपये और मूंग के भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल की कमी हुई।
अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की वजह से आम उपभोक्ताओं को नुकसान है क्योंकि कई कंपनियों ने एमआरपी को 20-40 रुपये ऊंचा कर रख है, जिसका खुदरा व्यापारी फायदा उठाते हुए ग्राहकों को ऊंचे भाव पर खाद्य तेलों की बिक्री कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेल 12-13 रुपये किलो सस्ते हैं पर ऊंची कीमतों के कारण बाजार में ग्राहकी कम है। दूसरी ओर मलेशिया एक्सचेंज में सामान्य कारोबार होने के बीच सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव पूर्ववत रहे।