सरकार Hindi की अनदेखी कर रही- प्रर्दशनकारियों का आरोप

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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भर्ती नहीं होने से पीएचडी, एमफिल, बीएड स्टूडेंट सड़कों की खाक छान रहे मप्र में 20 हजार से ज्यादा ऐसे स्कूल, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे, फिर भी सरकार भर्ती नहीं कर रही डिटेल :- हिंदी दिवस के मौके पर सोमवार को रीगल चौराहे पर हिंदी शिक्षकों के पदों की वृद्धि को लेकर कुछ संगठनों ने प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि परीक्षा वर्ग- 2 में सिर्फ 100 पदों पर ही भर्ती की गई, जबकि अन्य विषयों पर इससे कहीं ज्यादा पद भरे गए। प्रदेश के 20 हजार से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है। ऐसे में सरकार हिंदी की अनदेखी कर रही है। जब हम अपनी मांग लेकर सरकार के पास जाते हैं तो हम पर लाठी बरसाते हैं। प्रदेश में शिक्षकों के डेढ़ लाख पद खाली हैं। 5 हजार पदों पर भर्ती से कुछ होने वाला नहीं है।

हमारी मांग है कि सरकार हिंदी के पदों में वृद्धि करे। प्रदर्शनकारी प्रमोद नामदेव का कहना है कि हमारी मातृभाषा हिंदी है, लेकिन सरकारें लगातार भाषा की अव्हेलना कर रही हैं। जबकि भाषा जितनी समृद्ध होती है, चिंतन भी उतना ही समृद्ध होता है। मप्र में जब वर्ग दो के लिए शिक्षक भर्ती हुई तो मात्र 100 पद दिए गए। मप्र में 20 हजार से भी ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश में शिक्षकों की बहुत जरूरत है, लेकिन सरकार भर्ती नहीं कर रही है। यदि सरकार हिंदी को लेकर इतनी चिंतित है तो हमारी मांग है कि वे हिंदी शिक्षक के पद बढ़ाए। 100 पदाें से प्रदेश में हिंदी समृद्ध नहीं हो सकती है। पीएचडी, एमफिल, बीएड स्टूडेंट सड़कों की खाक छान रहे हैं। शिक्षक बनने का सपना देखा, लेकिन अब वे दूसरा काम करने को मजबूर हैं। युवा जब भर्ती की मांग लेकर सरकार के पास जाता है तो वहां उन पर डंडा चलता है। 4 सितंबर को हमने प्रदर्शन किया तो सरकार ने हमारी महिलाओं बहनों और युवाओं पर तक लाठीचार्ज कर अभद्र व्यवहार किया। हमारी मांग यही है कि हिंदी समेत सभी पदों पर समानता हो। प्रदेश में डेढ़ लाख पद खाली हैं। 5 हजार पदों पर भर्ती से कुछ होने वाला नहीं है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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