देश का पहला वाटर प्लस शहर बारिश में हो रहा पानी-पानी, अलर्ट के बाद भी सोते रहे जिम्मेदार
इंदौर। देश में स्वच्छता का पांचवी बार तमगा हासिल कर चुके इंदौर शहर में तेज और मूसलाधार बारिश का अलर्ट पांच दिन पहले मौसम विभाग ने जारी किया था। तीन दिन से बारिश का माहौल भी बना हुआ था, लेकिन अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं था। मंगलवार शाम को जब तेज बारिश शुरू हुई तब भी अफसरों ने ध्यान नहीं दिया और नतीजा ये निकला कि शहर की बड़ी आबादी को मंगलवार की रात और बुधवार का पूरा दिन काटना मुश्किल हो गया।तेज बारिश के अलर्ट के बाद भी न तो जिला प्रशासन और न ही नगर निगम के अफसरों ने परेशानियों से निपटने की तैयारी की। बरसात में पानी भराने के छोटे-छोटे वे स्थान, जिन्हें चार महीने पहले चिन्हित किया था, वहां भी ध्यान नहीं दिया गया। बुधवार को जब आधा शहर पानी में डूबा था, उस समय भी आपदा प्रबंधन के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन के अफसर फील्ड से गायब रहे। अफसर एक साथ तेज पानी आने से व्यवस्थाओं के बिगड़ने की बात कर खुद को बचाते रहे, लेकिन अलर्ट के बाद में भी कोई तैयारी नहीं करने की अपनी गलती नहीं मानी।
ये नाकामी रही अफसरों की
– जिन जगहों पर पानी भराया, वहां की चेंबर लाइनें चोक होना बड़ा कारण था। तीन महीने पहले जब निगम ने शहर के दो लाख चेंबरों की सफाई करवाई थी, उसकी गाद वहीं पड़ी रहने दी। चेंबर में दोबारा गाद जाने से लाइनें चोक हो गईं।
– शहर में डाली गई छोटी-छोटी नाला टैपिंग की लाइनों से अफसर पानी निकासी को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन सफाई नहीं होने से पानी निकासी नहीं हो पाई।
– मुख्य सड़कों पर पानी निकासी नहीं होने के बाद भी अफसर घरों में ही बने रहे।
महापौर के निकलने के बाद निकले फील्ड पर
मंगलवार रात महापौर पुष्यमित्र भार्गव पानी भराने वाले स्थानों पर पहुंचे। वे कॉलोनियों, बस्तियों में घूमते रहे। फोन पर अफसरों से चर्चा करते रहे। इसके बाद देर रात को एक-दो अधिकारी फील्ड पर उतरे। कई बड़े अफसर तो सुबह ही फील्ड में दिखे।
ये है सच्चाई
शहर में पानी जमा होने के मुख्य कारण नाला टैपिंग की लाइन को लेकर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। इसे लेकर बीते साल एक आवेदन भी सूचना का अधिकार के तहत पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने लगाया था। इसमें 300 करोड़ के इस काम की डीपीआर, ड्राइंग, डिजाइन सहित काम कराने के लिए जारी किए गए वर्क-ऑर्डर, बिल आदि की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अफसरों ने सालभर बाद में भी ये जानकारी जारी नहीं की है। अफसर इस तरह के दस्तावेज होने से भी इनकार कर रहे हैं।