उत्तराखंड हादसाः शव उगल रहा मलबा

sadbhawnapaati
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सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर अभियान जारी, सुरंग में अभी की सांसों की आस |

 

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद अब राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। सबसे बड़ी मुश्किल तपोवन की टनल में आ रही है, जहां करीब 37 लोगों के फंसे होने की आशंका है। सुरंग कीचड़ से भरी हुई है, ऐसे में इसे खाली करने का प्रयास जारी है। इस हादसे में अभी तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 24 की शिनाख्त भी हो गई है। सभी शव टनल से और आस-पास के क्षेत्रों में नदियों के किनारे से मिले हैं। जबकि 171 की तलाश जारी है।

[expander_maker id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने आज सुबह बताया कि रेस्क्यू दल टनल में थोड़ा और आगे बढ़े हैं। अभी टनल खुली नहीं है। उम्मीद है कि दोपहर तक टनल खुल जाएगी। सेना ने सुरंग तक पहुंच बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। गढ़वाल स्काउट्स के विशेषज्ञ पर्वतारोहियों की विशेष टीम सुरंग में ड्रिल करने के लिए काम कर रही है। मलबा 120 मीटर तक साफ किया गया है। हालांकि अब भी 80 मीटर रह गया है।

वहीं आज सुबह उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज चमोली जिले का जायजा लिया। साथ ही वे घायलों से मिलने के लिए जोशीमठ स्थित अस्पताल भी पहुंचे। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के तीन मंत्री भी आज उत्तराखंड जाएंगे। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और बाढ़ राहत राज्यमंत्री विजय कश्यप उत्तराखंड जाएंगे। वहीं आज तीसरे दिन के राहत बचाव कार्य के लिए एमआई 17 एनडीआरएफ के जवानों को लेकर देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना हुआ। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को तपोवन और ग्लेशियर क्षेत्र में ले जाने के लिए एक एएलएच भी रवाना हो गया है। राज्य सरकार धौलीगंगा आपदा के कारणों का विस्तृत अध्ययन कराएगी। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसरो की सैटेलाइट इमेज के आधार पर बर्फ का पहाड़ खिसकने को घटना का कारण बताया है। बर्फ खिसकने की यह घटना क्यों और कैसे हुई, इसकी पड़ताल कराई जाएगी।[/expander_maker]

 

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