व्लादिमीर पुतिन के दौर में विजय दिवस रूसी सेना और सैन्य साजो-सामान की ताकत दिखाने के साथ-साथ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे गए रूसी सैनिकों को याद करने का मौका बन गया है.
द्वितीय विश्व युद्ध में 2.7 करोड़ सोवियत नागरिक मारे गए थे जो किसी भी देश में होने वाली सबसे अधिक जनहानि थी. रूसी इस युद्ध को ग्रेट पेट्रिओटिक वॉर के रूप में याद करते हैं. इस साल इस आयोजन का अपना ही महत्व है.
यूरोप को आज़ाद कराने वाले रूस ने महीनों से अपने ही पड़ोसी यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा हुआ है और अब तक उसे ऐसी कोई सैन्य सफलता नहीं मिली है जिसका वह जश्न मना सके.
कितना अहम है साल 2022 का विजय दिवस
युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाली रेजिमेंट्स रूसी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रपति पुतिन के सामने परेड करेंगी.
इस मौके पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रेड स्क्वैयर से भाषण देंगे जिस पर सबकी निगाहें होंगी ताकि रूस के अगले कदम का अंदाजा लगाया जा सके.
पुतिन अक्सर इस मौके पर अपने इरादे बयां करने वाले संदेश जारी करते हैं.
सोवियत संघ के दौर में विजय दिवस की परेड कभी-कभी हुआ करती थी. साल 1995 में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने नाज़ी जर्मनी पर जीत की पचासवीं वर्षगांठ पर एक बार फिर इस आयोजन में नयी जान फूंकी.
इसके बाद व्लादिमीर पुतिन ने साल 2008 में इसे एक वार्षिक आयोजन की शक्ल दी और सैन्य साजो-सामान को दिखाना शुरू किया.
रूसी पहचान बड़े पैमाने पर विजय दिवस की पृष्ठभूमि में गढ़ी गई है, जिसमें स्कूली किताबों और इतिहास की किताबों में रूस को यूरोप के युद्धकालीन मुक्तिदाता के रूप में दिखाया गया है.
ग्लासगो यूनिवर्सिटी के अम्मोन चेस्किन कहते हैं, “किसी सामान्य वर्ष में भी विजय दिवस रूसी ताक़त, पुतिन के नियंत्रण और उनके प्रभाव को दिखाने का मौका होता है. और इस साल इसमें बढ़ोतरी हुई.”
पुतिन क्या घोषणा कर सकते हैं?
युद्ध अभियान ख़त्म किए जाने से जुड़ी घोषणाओं को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, उनका खंडन किया जा चुका है. ख़बरें आ रही हैं कि पुतिन इस मौके पर पूर्ण युद्ध का एलान करेंगे या वह इस युद्ध में रूसी पुरुषों के मोर्चे पर जाने का एलान करेंगे.
हालांकि, रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोफ़ ने कहा है कि रूसी सेना किसी तारीख़ विशेष को ध्यान में रखते हुए अपने अभियान में कृत्रिम रूप से बदलाव नहीं करेगी.
यूक्रेन युद्ध में रूस को भारी नुकसान होने की वजह से इस मौके पर बड़े एलान किए जा सकते हैं. हालांकि, पूरी सेना को युद्ध के मैदान में उतारने का फ़ैसला शायद न लिया जाए.