यौन उत्पीड़न पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर दी थी जमानत

sadbhawnapaati
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सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट के आदेश को किया निरस्त  

उज्जैन जिले की खाचरोद तहसील के ग्राम सांदला के निवासी आरोपित विक्रम पिता भेरूलाल बागरी पर आरोप है कि 20 अप्रैल 2020 की रात करीब ढाई बजे वह एक महिला के घर में घुसा और उसके साथ छेड़छाड़ की। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर दो जून 2020 को उसे हिरासत में लिया। आरोपित ने इस मामले में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष जमानत याचिका प्रस्तुत की थी।
गौरतलब है कि मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 30 जुलाई 2020 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने आरोपित को इस शर्त पर 50 हजार रुपये की जमानत दी थी कि आरोपित तीन अगस्त 2020 को रक्षाबंधन के दिन सुबह 11 बजे पत्नी को साथ लेकर पीड़िता के घर राखी और मिठाई लेकर जाएगा और पीड़िता से आग्रह कर भाई की तरह उससे राखी बंधवाएगा। इतना ही नहीं, आरोपित पीड़िता को उसकी रक्षा का वचन देकर परंपरा अनुसार राखी की भेंट स्वरूप उसे 11 हजार रुपये भी देगा। आरोपित पीड़िता के बेटे को भी मिठाई और कपड़े के लिए पांच हजार रुपये देगा।

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हाई कोर्ट के इस आदेश को नौ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन महिला वकीलों ने मांग की थी कि अदालतों को आदेश दिया जाए कि वे यौन उत्पीड़न के मामले में इस तरह के आदेश न दें। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ में हुई। कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट के 30 जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया है।
 सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न  अदालतों के जजों से महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में रूढ़ीवादी टिप्पणियों से बचने को कहा है। कोर्ट ने जजों, वकीलों व सरकारी वकीलों के संवेदीकरण के लिए प्रशिक्षण माड्यूल सहित कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

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