Religious and Spiritual News – यहाँ मौजूद है अनोखा शिव मंदिर,जहां शिवलिंग साल में 3 बार बदलता है रंग जानें इससे जुड़ी मान्यताएं

sadbhawnapaati
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Religious and Spiritual News Indore – भारत में देवी देवताओं के ऐसे हजारों मंदिर हैं, जो किसी न किसी चमत्कार और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं. इसी तरह देश में भगवान शिव के भी ऐसे कई मंदिर हैं, जो उनकी लीलाओं का वर्णन करते है. कहते हैं कि भगवान शिव के कई रूप और कई नाम हैं. अलग अलग शिवालयों में हमें यह देखने को भी मिलता है. इन शिव मंदिरों का अपना इतिहास है.

कई प्राचीन शिव मंदिर अनोखे और बेहद अदभुत हैं. उन्हीं में से एक यूपी के भदोही जिले का तिलेश्वरनाथ मंदिर है. इसका अलग आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. इस मंदिर का अनोखा शिवलिंग मौसम के साथ अपना रंग बदलता है. इतना ही नहीं बल्कि त्वचा का भी विसर्जन करता है. सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसे में आज आपको इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं को बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं.

क्या है पौराणिक मान्यता |

यह अदभुत शिवलिंग भदोही के गोपीगंज स्थित तिलेश्वरनाथ मंदिर का है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग के महाभारत काल में पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना की थी. तभी से रंग बदलने वाले अनोखे रूप के कारण यह शिवलिंग आस्था का केंद्र बना है. मान्यताओं के अनुसार इस शिवलिंग में प्राण-प्रतिष्ठा करते समय अर्जुन ने तीर चलाया था, जिसमें कुबेर ने सोने-चांदी की बारिश की थी. जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंधो में भी मिलता है. जब इस मंदिर का विशाल निर्माण कराने के लिए भक्तों ने खुदाई की थी, उस समय खुदाई में सोने-चांदी के सिक्के भी मिले थे. मान्यता है कि इस शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं. सावन के महीने में दूर दूर से भक्त यहां तिलेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना करने आते हैं.

रंग बदलते तो दिखता है लेकिन त्वचा बदलते नहीं  |

माना जाता है कि साल भर में यह शिवलिंग तीन बार अपना रंग बदलता है. यह गर्मियों में गेहुंआ, सर्दियों में भूरा और सावन में काले रंग का होता है. बता दें कि यह शिवलिंग साल में एक बार त्वचा भी बदलती है. रंग बदलते तो सबको दिखता है लेकिन त्वचा को बदलते किसी को नहीं दिखता है.

क्यों पड़ा नाम तिलेश्वरनाथ |

इस मंदिर का शिवलिंग तिल के समान बढ़ता है इसीलिए इसका नाम तिलेश्वरनाथ रखा गया है. पांडवों द्वारा निर्मित इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि सावन के दिनों में इस शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक, दर्शन पूजन करने का अलग ही महत्व होता है. शिव भक्त सुख-समृद्धि के लिए इस प्राचीन मंदिर में पूजा करते हैं. मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहां मांगा जाता है वह भोलेनाथ पूरा करते हैं. सावन के इस पवित्र महीने में इस अनोखे शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है. दूर से दर्शनार्थी यहां दर्शन के लिए आते है.

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