किया नहीं पसंद, मेरा प्यार किसी ने।
दिया नहीं मुझको, यहाँ प्यार किसी ने।।
किया नहीं पसंद…।।
मैंने पसंद यहाँ, जिसको भी किया।
उसने मुझको, जवाब यह दिया।।
बिना पैसों के साथ, नहीं दिया किसी ने।
दिया नहीं मुझको, यहाँ प्यार किसी ने।।
किया नहीं पसंद…।।
नफरत थी असली चेहरों से उनको।
चाहिए था दिल का, खिलौना उनको।।
देखा नहीं मेरी वफ़ा को, किसी ने।
दिया नहीं मुझको, यहाँ प्यार किसी ने।।
किया नहीं पसंद…।।
नहीं चाहिए उनको, इंसान सच्चा।
सौदागर दिल का, उनको लगता है अच्छा।।
नहीं दी पनाह- इज्जत, मुझको किसी ने।
दिया नहीं मुझको, यहाँ प्यार किसी ने।।
किया नहीं पसंद…।।
साहित्यकार एवं शिक्षक
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद