(लेखक-डॉ. भरत मिश्र प्राची)
आज विश्व पटल पर रूस एवं युक्रेन के बीच 7 दिनों से लगातार चल रहा महाविनाशक युद्ध का परिदृश्य छाया हुआ है, जहां रूस के राष्ट्रपति पुतिन की दादागिरी उभर कर समने आ रही है जिसने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के मामले को लेकर यूक्रेन को युद्ध के आगोश में ले लिया है।
आज इस युद्ध के परिणाम स्वरूप दोनों देश के हजारों सैनिकों बेवजह मारे जा चुके है। रूस की सेना का यूक्रेन पर चौतरफा हमला चल रहा है। यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमले तेज नजर आ रहे है पर यूक्रेन भी इस हमले का वीरता से जबाब दे रहा है।
इस तरह के युद्ध भविष्य में एक भयानक विश्व युद्ध की तस्वीर उभारते नजर आ रहे है। वर्तमान परिवेश में यूक्रेन में गृह युद्ध की स्थिति भी उभरती नजर आ रही है जहां का हर नागरिक रूसी सेना का सामना करने को तैयार बैठा है। इस तरह की स्थिति निश्चित रूप से भयावह तस्वीर प्रस्तुत कर रही है।
वर्तमान में रूस यूक्रेन युद्ध पर विश्व के सभी देशों की पैनी नजर हैे। इस युद्ध के परिप्रेक्ष्य में विश्वस्तर पर प्रायः अधिकांश देश रूस को दोषी मानते हुये भी यूक्रेन की सहायता की मांग पर मौन नजर आ रहे है जब कि अमेरिका यूक्रेन के साथ खड़ा रहने की अपनी स्वीकृति दे चुका है।
फ्रांस एवं जापान भी यूक्रेन के पक्ष में नजर आ रहे है। रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने को लेकर वार्ता का दौर जारी भी है और यूक्रेन पर रूस के हमले दिन पर दिन तेज भी होते जा रहे है।
इस तरह के परिवेश रूस के प्राचीन इतिहास के विपरीत जाकर एक नये स्वरूप दादागिरी को दर्शा रहे है जहां विश्व की मानवता विनाशक युद्ध के कगार पर खड़ी नजर आने लगी है। यदि समय रहते इस युद्ध को विराम नहीं लगता तो आने वाला समय रूस की दादागिरी का बुरी तरह से शिकार हो सकता है। जहां से विश्वयुद्ध के संकेत नजर आने लगे है।
वर्तमान में रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे बातचीत के दौर में भी रूस के यूक्रेन पर हमले तेज ही होते जा रहे है। खेरसॉन के बाद खरकीव में रूस हमले के तेवर तेज हो गये है। युक्रेन की राजधानी कीव पर चारों ओर से रूस के हमले तेज हो गये है। जहां पुलिस मुख्यालय एवं डिफेंस विश्वविद्यालय रूस के हवाई हमले के चलते तहस नहस हो गये है।
जब कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अभी जक जारी युद्ध में 6 हजार रूसी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टी की है। यह रूस के लिये अच्छी बात नहीं है। इस युद्ध में यूक्रेनी सैनिक भी मारे जा चुके है।
दोनों देश भले अपने अपने आकड़े पेश करे पर इस तरह के युद्ध के औचित्य के पीछे छिपी एक की दादागिरी और दूसरे का स्वाभिमान के रक्षार्थ उभरता परिवेश शामिल है। जिसपर मंथन होना बहुत जरूरी है। जो कारण रूस यूक्रेन के बीच युद्ध के बने है, उसमें केवल रूस की दादागिरी ही नजर आ रही है।
इस तरह के हालात विश्वस्तर पर और कहीं न पनपे , इस पर चर्चा होनी चाहिए। रूस यूक्रेन युद्ध पर तत्काल विराम लगना ही मानवहितकारी हो सकता है वरना उभरती दादागिरी विश्वयुद्ध का परिवेश उजागर कर सकती है।