भोपाल। इस साल गर्मी के दलहनों का रकबा देश में बढ़ता दिख रहा है। गर्मी के कुल दलहन का बुआई क्षेत्रफल 2.88 लाख हेक्टेयर है जो बीते वर्ष 2.48 लाख हेक्टेयर ही था।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल गर्मी में बोई जाने वाली मूंग और उड़द दोनों ही दलहनों का बुआई क्षेत्र बढ़ा है। मूंग का रकबा इस साल 1.55 लाख हेक्टेयर आंका गया है। यह बीते वर्ष के स्तर से थोड़ा बेहतर है। इसी तरह उड़द का रकबा 1.15 लाख हेक्टेयर आंका गया है जो बीते साल एक लाख हेक्टेयर से भी कम था। दूसरी ओर अपुष्ट सूत्रों से खबरें आ रही हैं कि सरकार देश की दलहन आयात नीति की समीक्षा पर विचार कर सकती है।
अनुमान लगाया है कि दलहन आयात पर प्रतिबंधों पर पुनर्विचार होगा। सरकार महंगाई पर काबू करने और किसानों को बेहतर मूल्य दिलवाने दोनों में से किस बिंदु को चुन कर निर्णय लेती है यह देखने वाली बात होगी। और दाल के दामों का भविष्य इसी पर निर्भर करेगा। इधर रंगून में तुवर की तैयार फसल में पोल की खबर आ रही है।
दूसरी ओर घरेलू फसलों का स्टाक लगभग पूरी तरह सिमट चुका है। कर्नाटक का भी माल इस बार नहीं के बराबर आ पाया, क्योंकि वहीं की लोकल दाल मिलों में माल की कमी से मिलिंग में चला गया है। रबी फसलों की भी स्थिति ठीक नहीं है, इन परिस्थितियों को देखते हुए तुवर में स्टाकिस्टों की छुटपुट मांग निकलने और आवक में कमी के कारण भाव में तेजी का वातावरण बनने लगा है।
शनिवार को तुवर में करीब 100 रुपये उछल गए। तुवर महाराष्ट्र सफेद 6400-6600 कर्नाटक नई 6500- 6700 निमाड़ी नई तुवर 5500- 6400 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। नई मसूर की आवक का दबाव बढऩे और लेवाल बेहद कमजोर रहने से भाव मे मंदी रही। मसूर 100-125 रुपये टूटकर 6300-6325 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।
चने में भी ऊंचे दामों पर ग्राहकी का सपोर्ट कम मिलने के कारण भाव में आंशिक नरमी रही। चना कांटा घटकर 5100-5150 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। उड़द मोगर में अच्छी डिमांड रहने से 100 रुपये की तेजी रही। मूंग, उड़द में कामकाज सामान्य रहा। भाव में कोई खास परिवर्तन नहीं रहा।