Bollywood News. बॉलीवुड में अब तक कई ऐसी फिल्मे बन चुकी है जिन्हे रिलीज़ हुए सालो हो गए लेकिन लोग उस फिल्म को आज तक भुला नहीं पाए। ऐसी फिल्मों में गाने तो ज़बरदस्त होते ही है लेकिन किरदार भी कुछ ऐसे होते है जो दर्शको के दिमाग पर गहरा असर दिखा जाते है।
वही ये भी ज़रूरी नहीं कि हर एक्टर्स को पॉजिटिव किरादर में ही दिखाया जाये। कई बार ऑडियंस को एक्टर का पागलपन, उसकी ज़िद, उसकी दीवानगी, यहां तक कि उसकी बदतमीज़ी भी पसंद आ जाती है। ऐसी ही फिल्मों की बात करे तो सलमान खान की फिल्म तेरे नाम और शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह सबसे पहले याद आती है। जहां दोनों ही एक्टर्स का करैक्टर थोड़ा टॉक्सिक लवर वाला था और दोनों ही फिल्म खूब सुर्खियों में रही।
वही अब इंडस्ट्री के जाने- माने एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया कि सलमान राधे मोहन की भूमिका निभाने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि उनके करैक्टर ने गलत मैसेज दिया था। सतीश ने ये भी कहा कि शाहिद कपूर की कबीर सिंह उनकी फिल्म की एक कॉपी थी। दरअसल, 2003 में रिलीज़ हुई तेरे नाम एक रोमांटिक एक्शन ड्रामा है, जो तमिल फिल्म सेतु की रीमेक है। पिछले कुछ सालों से, फिल्म निर्माता ने सीक्वल के बारे में बात की है, लेकिन इसके बारे में कोई अपडेट नहीं है।
लेकिन अब डायरेक्टर सतीश कौशिक ने कहा कि तेरे नाम जैसी फिल्मों का रीमेक नहीं बनाया जा सकता क्योंकि दर्शक बदलाव देखना चाहते हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि सलमान खान अपनी खामियों के कारण राधे मोहन का किरदार निभाने के लिए तैयार नहीं थे। सालों से, फिल्म को समाज के एक निश्चित वर्ग द्वारा विषाक्त मर्दानगी और कुप्रथा को उजागर करने के लिए भी देखा गया है।
उन्होंने कहा, “हमें निश्चित रूप से समय के साथ तालमेल बिठाना होगा। वही फिल्म बनाना और सलमान से वही परफॉरमेंस करवाना मुश्किल होगा। सलमान खान ने हमेशा कहा कि फिल्म अच्छी है और निश्चित रूप से काम करेगी। लेकिन किरदार इसमें गलत संदेश देता है। कबीर सिंह पर भी बहस हुई। कबीर सिंह, तेरे नाम की एक अडाप्टेड कॉपी थी।”
छोटे शहरों में लड़के आज भी गलत तरीकों से लड़कियों को इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं, इसकी तुलना करते हुए डायरेक्टर ने कहा, “लड़का लड़की को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि वह उससे प्यार करता है, फिर भी वह उससे ना सुनने को तैयार नहीं है। यह सच में अच्छा नहीं है। लेकिन अगर आप ध्यान दें, तो आज भी छोटे शहरों में यही संस्कृति है, जहां एक लड़का एक लड़की के पीछे दौड़ता है।”