खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने अवैध संपत्तियों के खिलाफ अभियान चलाया था।
जिसके तहत शहर के चार स्थानों पर बुलडोजर चलाकर कुल 16 घर और 29 दुकानें ध्वस्त की गईं। इसमें से 12 घर खसखासवाड़ी इलाके में थे।
हिंसा करने के आरोप में 140 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। जिसके बाद मुस्लिम संगठन ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है।
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से सलाह लेने के बाद यह याचिका एडवोकेट सरीम नावेद ने तैयार की है। इसे एडवोकेट कबीर दीक्षित ने ऑनलाइन दायर किया है।
इसमें जमीयत उलेमा ए हिंद कानूनी इमदाद कमेटी के सचिव गुलजार अहमद आजमी वादी बने हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि सरकारों द्वारा इस तरह के उपाय हमारे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करते हैं।
इस तरह की घटनाओं से अदालतों की भूमिका को नकारने की कोशिश है। इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के चीफ अरशद मदनी ने कहा कि देशभर में धार्मिक उग्रवाद और नफरत का माहौल व्याप्त है। अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को डराने-धमकाने की साजिशें रची जा रही हैं।
देशभर में धार्मिक उग्रवाद और नफरत का माहौल व्याप्त हो गया है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें खामोश हैं। मदनी के मुताबिक याचिका में अदालत से राज्यों को आदेश देने के लिए कहा गया है कि कोर्ट की अनुमति के बिना किसी के घर या दुकान को ध्वस्त ना करें।
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की राजनीति पहले से ही चल रही है, लेकिन अब यह नापाक हरकत गुजरात और मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गई है।
मदनी ने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के अवसर पर एक जुलूस के दौरान अत्यधिक भड़काऊ नारे लगाकर हिंसा शुरू की गई।
इसके बाद राज्य सरकार के आदेश पर मुसलमानों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम मोहल्लों में मस्जिदों के बिल्कुल सामने आकर उकसाया जा रहा है। पुलिस की मौजूदगी में लाठी-डंडे लहराकर नारे लगाए जा रहे हैं और सब मूकदर्शक बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जिस आपराधिक तरीके से पुलिस और प्रशासन ने खरगोन में गुंडों के समर्थन में काम किया है, उससे पता चलता है कि कानून लागू करना अब उनका लक्ष्य नहीं है।
अगर पुलिस और प्रशासन ने संविधान के प्रति थोड़ी भी वफादारी दिखाई होती, तो मुसलमानों को करौली (राजस्थान) में निशाना नहीं बनाया जाता और खरगोन में उनके घर और व्यवसाय नष्ट नहीं होते।
देश में खराब होते हालात को लेकर मौलाना मदनी ने कहा है कि धार्मिक उग्रवाद और नफरत की एक काली आंधी पूरे देश में चलाई जा रही है।
अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को भयभीत करने की जगह-जगह साजिशें हो रही हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि सांप्रदायिक लोगों द्वारा मुसलमानों का जीना दूभर किया जा रहा है और केन्द्र सरकार बिल्कुल ख़ामोश है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था।
इसमें कहा था कि खरगोन में अब मुस्लिमों के घरों और बाकी सम्पत्तियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है जो एक चिंता का विषय है। पत्र में कहा गया कि मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है।