किसानों के 1800 करोड़ रुपए अटके, भुगतान की बदली व्यवस्था

sadbhawnapaati
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समर्थन मूल्य पर किसानों ने 20 लाख टन गेहूं बेचा पर नहीं हुआ भुगतान
भोपाल। मध्यप्रदेश में गेहूं किसानों के कई करोड़ रुपए अटके पड़े हैं। भुगतान व्यवस्था में परिवर्तन की वजह से यह दिक्कत सामने आई है। सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के दस दिन के भीतर भुगतान करने का दावा किया था लेकिन 15 दिनों बाद भी किसान पैसों के लिए परेशान हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार ढाई लाख से ज्यादा किसानों के गेहूं का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। अब भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। पहले एक-एक रुपये खातों में जमा करके देखेंगे ताकि यह पता चल जाए कि राशि पहुंच रही है या नहीं।
यदि राशि नहीं पहुंचेगी तो सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही पता चल जाएगा। जिस किसान का खाता संचालित नहीं होगा, उससे संपर्क करके त्रुटि को दूर कराया जाएगा। एक सप्ताह के भीतर एक हजार 800 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों के खातों में करने की तैयारी है।
प्रदेश में अभी तक ढाई लाख से ज्यादा किसान बीस लाख टन से अधिक गेहूं समर्थन मूल्य पर बेच चुके हैं पर भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। इससे किसान परेशान हैं क्योंकि वे न तो सहकारी समितियों का ऋण चुका पा रहे हैं और न ही अन्य जरूरी काम ही कर पा रहे हैं।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग भी किसानों की समस्या को समझ रहा है और राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआइसी) के अधिकारियों के साथ बैठक करके व्यवस्थाएं बनाने में जुटा है। दरअसल, इस बार भुगतान की व्यवस्था बदली गई है।
अब किसान से खाता नंबर लेने की जगह उससे सिर्फ आधार नंबर लिया गया है। इससे लिंक खाते में भुगतान किया जाना है। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इसी सप्ताह भुगतान प्रारंभ हो जाएगा।

किसान पसोपेश में

समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के दस दिन के भीतर भुगतान करने का दावा किया था लेकिन व्यवस्था में परिवर्तन की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया। सरकार ने उपार्जन कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए इस बार आधार से लिंक खाते में ही भुगतान करने की व्यवस्था लागू की है।
इसके लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र को आधार से लिंक खातों की जानकारी केंद्र सरकार के भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीए) से लेनी पड़ रही है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी प्रक्रिया के कारण इसमें विलंब हुआ है। अब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से भुगतान होना है। इसे भी प्रायोगिक तौर पर संचालित करके देख लिया गया है।
भुगतान में विलंब से किसानों को होगा नुकसान
भोपाल जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष विजय तिवारी का कहना है कि भुगतान में विलंब का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल, किसान सहकारी समितियों से अल्पावधि कृषि ऋण लेते हैं। जैसे ही उपज बिकती है तो वे उससे प्राप्त राशि का ऋण चुकाते हैं।
इसके बाद उन्हें फिर से ऋण लेने के लिए पात्रता मिल जाती है और स्वीकृत साख सीमा के अनुसार ऋण ले लेते हैं। यही व्यवस्था चलती रहती है पर भुगतान न होने से यह प्रभावित हो रही है। इसे किसान डिफाल्टर हो जाएंगे।
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