किसानों का कहना है कि 1981 में 32 गांव की 202.2 वर्ग किलोमीटर जमीन सोन चिरैया संरक्षित क्षेत्र में घोषित कर दी गई थी। इस कारण वहां निवासरत किसान अपनी जमीन की खरीद-बिक्री नहीं कर सकते। यहां तक कि अपने उपयोग के लिए अपने ही खेत में से मिट्टी तक नहीं उठा सकते। अभयारण्य की आड़ में रेत माफिया के हौंसले बुलंद हैं। प्रतिदिन क्षेत्र से लाखों रुपये की रेत का अवैध उत्खनन नेता और उनके लोग कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन की प्रवक्ता कृष्णा देवी रावत ने कहा कि इस क्षेत्र में लगे प्रतिबंध की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना किसान कर रहे हैं। यदि इस क्षेत्र को अभयारण्य से जल्द ही मुक्त नहीं किया गया तो यह आंदोलन और उग्र होगा। ज्ञापन देने वालों में महेंद्र पाठक दिहायला, होतम सिंह रावत, जितेंद्र रावत, गोपाल गुर्जर, देवेंद्र रावत, जवाहर सिंह रावत सहित कई किसान मौजूद थे। ज्ञापन देने के पश्चात कृष्णा देवी रावत, होतम सिंह रावत सहित छह से अधिक किसानों ने तहसील कार्यालय के सामने ही सड़क पर अपना मुंडन कराया।