इंदौर। अब शादी समारोह या अन्य आयोजन में घोड़ी अथवा ऊंट को नचवाना आसान नहीं होगा। बरात या अन्य किसी समारोह में घोड़ी या ऊंट के लिए इनके पालक को जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एनिमल वेलफेयर बोर्ड) से लाइसेंस लेना जरूरी होगा। बिना लाइसेंस के इन पशुओं को नचवाए जाने पर एफआईआर करवाई जाएगी।
यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि पशु क्रूरता को रोका जा सके। अक्सर देखने में आता है कि शादी समारोह या जुलूस आदि में घोड़ी व ऊंट का उपयोग होता है।
इनको नचवाया भी जाता है। कई बार इनको प्रताड़ित किए जाने की शिकायत भी सामने आती है। इसके अलावा तेज धूप में भी पशुओं पर दया नहीं की जाती। इसके लिए यह सब किया जा रहा है।
पशु-पक्षियों के हितों में काम करने वाली मेनका गांधी की संस्था पीपल्स फॉर एनिमल इंदौर की टीम इसे लेकर मॉनिटरिंग कर रही है।
इस दौरान देखने में आया कि हाल ही में एक समाज ने रेसकोर्स रोड पर एक जुलूस निकाला जिसमें ऊंट का उपयोग किया गया।
इसमें ऊंट की नाक में रस्सी डालकर उसे उसके पैर में सेट किया गया था। इससे पैर उठाते पर रस्सी खींचते ही ऊंट नाचने लगता था। संस्था ने इसका वीडियो बना लिया। इसी तरह एक शादी समारोह में घोड़ी को नचाया जा रहा था।
बताया गया कि घोड़ी को नचवाने की ट्रेनिंग के दौरान उसे प्रताड़ित किया जाता है ताकि वह नाचना सीख सके। इसके अलावा भीषण गर्मी में बैलगाड़ी चलाई जा रही थी जिस पर क्षमता से ज्यादा माल रखा गया था। इस माल को ढोने में बैलों की हालत खराब हो रही थी।
इन सब मामलों को लेकर पीपल्स फॉर एनिमल इंदौर की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने बताया कि टीम ने इसे लेकर पर्याप्त सबूत एकत्रित किए हैं। हाल ही में कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि गर्मी के सीजन में सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक बैलगाड़ी का उपयोग नहीं होगा।
इसके बावजूद इनका उपयोग किया जा रहा है। ऐसे ही घोड़ी, ऊंट या किसी भी तरह के जानवर को व्यवसायिक या मनोरंजन के तौर पर उसका उपयोग करने के लिए मनोरंजन पशु नियम 1993 के तहत एनिमल वेलफेयर बोर्ड फरीदाबाद से लायसेंस लेना अनिवार्य है।
तीन साल पहले जब संस्था ने सर्वे किया था पाया कि शहर में घोड़े-ऊंट आदि का उपयोग करने वालों में से एक ने भी लायसेंस नहीं लिया था। अब इनकी संख्या 25 से ज्यादा हो गई है।
लाइसेंस को लेकर अभी स्थिति वैसी ही है। इन मामलों में संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया जाएगा। इसके साथ ही वीडियो भी पेश किए जाएंगे।
लाइसेंस की प्रक्रिया
एनिमल वेलफेयर बोर्ड फरीदाबाद की वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है। इसका शुल्क 500 रुपये है।
लाइसेंस लेने के बाद ऊंट, घोड़ी आदि को नचवाना अपराध नहीं होगा लेकिन उनके साथ मारपीट या प्रताड़ित किया गया तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा।
प्रताड़ित करने के मामला सामने आता है तो पुलिस या पीपल्स फॉर एनिमल को इसकी शिकायत की जा सकती है। बिना लायसेंस के जानवरों को नचवाने पर पशु क्रूरता अधिनियम 1969 की धारा 11, आईपीसी की धारा 428 429 के तहत केस दर्ज किया जाता है।