(अमेरिका की गुस्ताखी)  ‘विश्वगुरू’ को सीख देने का अक्षम्य अपराध….? 

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(लेखक- ओमप्रकाश मेहता)

‘चिटियों को पँख’ आने की कहावत अब अमेरिका में चरितार्थ होती नजर आ रही है, अब वह प्रतिरक्षा संसाधनों को सिरमौर तो अपने आपको प्रदर्शित करता रहा ही है और अपने आपको विश्व की महान शक्ति निरूपित करता रहा है, किंतु अब उसने उन देशों को भी शिक्षा देने की जुर्रत की है, जो कभी ‘विश्वगुरू’ रहे है, इसका ताजा उदाहरण उसकी वह ताजा रिपोर्ट है जो उसने धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर जारी की है, जिसमें इस क्षेत्र में भी खुद को सर्वोपरि बताते हुए भारत सहित कई देशों की आलोचना की है। उसने अपनी हाल ही में जारी इस रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़े है, जिसक कारण भारत में धार्मिक सौहार्द्र में काफी गिरावट आई है और भारत की मौजूदा सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है।
अमेरिका ने अन्तर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग 2021 की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि वह दुनिया भर के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए काम करता रहेगा, बड़े देशों के लोगों व धार्मिक स्थलों पर हमलों को लेकर अमेरिकी विदेशमंत्री एंटोनी क्लिंटन ने यह रिपोर्ट जारी की, रिपोर्ट में भारत के धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमलों को लेकर निशाना साधा गया है, तो अल्पसंख्यकों व महिलाओं पर हमलों को लेकर पाक, अफगानिस्तान और चीन की आलोचना की गई है। हालांकि इस अमेरिकी रिपोर्ट पर भारत ने सख्त आपत्ती जताते हुए इसे अन्तर्राष्ट्रीय वोट बैंक की राजनीति करार दिया है, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हमने अमेरिकी रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है, दुर्भाग्यपूर्ण है कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है, भारतीय विदेश मंत्रालयल ने अग्रह किया है कि एक तरफा जानकारी और पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर आंकलन से बचा जाए।
यही नहीं, अमेरिका ने अपनी इस रिपोर्ट में विभिन्न गैर लाभकारी संगठनों (एनजीओ) और अल्पसंख्यक संस्थानों पर हुए हमलों को लेकर उनके आरोपों का उल्लेख भी किया है रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में पूरे साल अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हत्या, मारपीट और धमकी के प्रकरण होते रहे, इनमें गायों की सुरक्षा को लेकर गोहत्या या बीफ के व्यापार के आरोपों के आधार पर गैर हिन्दुओं के खिलाफ हुए अपराध शामिल है। रिपोर्ट में संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का भी उल्लेख किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए समान है और लोगों के बीच धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने 12 सितम्बर को सार्वजनिक रूप से कहा था कि उ.प्र. में पिछली सरकारों ने सुविधाओं के वितरण में मुसलमानों का अधिक समर्थन कर उन्हें अधिक लाभ पहुंचाया था, उनका इशारा शायद समाजवादी व कांग्रेस की सरकारों की ओर था।
अमेरिका ने अपनी इस रिपोर्ट में सिर्फ भारत की ही नहीं चीन, तालिबान और पाकिस्तान की भी जमकर धुनाई की। चीने के बारे में कहा गया कि वहां अन्य धर्मों के धर्मावलम्बियों को काफी परेशान किया  जा रहा है, चीन उन अन्य धर्मो के लोगों अनुयायियों को परेशान कर रहा है, जिन्हें वह चीनी कम्युनिष्ट पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ मानता है इनमें तिब्बती, बौद्ध, इसाई, इस्लामी आदि के अनुयायी शामिल है। तालिबान की आलोचना वहां की महिलाओं और लड़कियों के कथित दमन के आधार पर की गई है, कहा गया है कि अफगानिस्तान में धार्मिक व स्वतंत्रता पूरी तरह खत्म कर दी गई है, महिलाओं व लड़कियों के शिक्षा व धर्म के अधिकार छीन लिए गए है। पाकिस्तान के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां ईश निंदा पर मौत की सजा दी जा रही है, अकेले 2021 वर्ष के दौरान इस आरोप में 16 लोगों को फांसी पर लटकाया गया है।
अमेरिका की इस रिपोर्ट को लेकर इन दिनों जहां पूरी विश्व के देशों मंे खलबली मची हुई है, वहीं भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को भारत पर लगाए गए आरोप का तीखा जवाब दिया है, कहा गया है कि ‘‘अमेरिका पहले अपने यहां की ‘बंदूक संस्कृति’ (गन कल्चर) को रोके, फिर दूसरों को नसीहत दे।’’
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारिक प्रवक्ता अरिन्दम बागची ने कहा कि एक स्वाभाविक रूप से बहुलवादी समाज के रूप में भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है अमेरिका के साथ हमारी चर्चा में हमने नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा, अपराधों और बंदूकी हिंसा सहित अमेरिकी चिंता के मुद्दों को नियमित रूप से उजागर किया है, इसलिए अमेरिका को पहले अपने यहां के गन कल्चर और नस्लीय हिंसा की बढ़ती घटनाओं की चिंता करनी चाहिए, फिर दूसरें देशों पर अंगुली उठाना चाहिये।
अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंधों में यह वोट बैंक की राजनीति कतई ठीक नहीं है, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण भी है। भारत ने तीखे शब्दों में अमेरिकी रिपोर्ट का जवाब देकर जहां अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया, वहीं ऐसे पक्षपाती रवैये से बचने की भी अमेरिका को सलाह दी है। भारत ने साथ ही अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए यह भी कहा कि भारत ने न सिर्फ अभी तक मानवीय अधिकारों का समर्थन किया है, बल्कि उनकी रक्षा भी की है, इसलिए अमेरिका को भविष्य में इस बारे में विशेष सतर्क रहना चाहिये। अमेरिका की इस रिपोर्ट के विश्व के कई देशों में अलग-अलग अर्थ निकाल कर कयास लगाए जा रहे है।
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