सुप्रीम कोर्ट ने नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश में संशोधन की शिवराज सिंह चौहान सरकार की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार के तथ्यों को सुनने के बाद कुछ और जानकारी मांगी है। कोर्ट बुधवार या गुरुवार को फिर मामले में सुनवाई करेगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर सरकार ने मोडिफिकेशन ऑफ ऑर्डर आवेदन सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था, जिस पर कोर्ट मंगलवार को सुनवाई की।
मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में लगभग दो घंटे तक सरकार की तरफ से पक्ष रखा है। सरकार ने मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी की निकायवार जानकारी कोर्ट के सामने रखी है। सरकार ने अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा है।
माननीय न्यायालय ने सरकार की ओर से पेश तथ्यों को देखा। कुछ और जानकारी मांगी है। वह जानकारी भी सरकार तत्काल उपलब्ध कराएगी। संभावना है कि बुधवार सुबह साढ़े दस बजे या गुरुवार को दोपहर दो बजे सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर फिर सुनवाई करेगी।
सरकार अंतिम समय तक प्रयास करेगी कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव करवाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मिले।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मूल याचिका लगाने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने सोशल मीडिया पर कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग अगर अपने दायित्वों को समय रहते हुए पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो उसके दुष्परिणाम मध्य प्रदेश की जनता नहीं भोगेगी।
ओबीसी वर्ग को भारतीय संविधान में जो अधिकार दिए गए हैं, वह अधिकार प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग को देना होगा। भारतीय संविधान का उल्लंघन करने का अधिकार न प्रदेश सरकार को है न निर्वाचन आयोग को।
याचिकाकर्ता सैयद जाफर और जया ठाकुर की तरफ से एडवोकेट वरुण ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। इससे पहले जाफर ने कहा था कि सरकार के कोर्ट में लगाए 946 पेज में से 860 पेज अनुपयोगी है।
सरकार की नाकामी के कारण ओबीसी वर्ग को अब कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश स्तरीय आरक्षण देना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा है कि पूरे प्रदेश में सरकार एक समान आरक्षण नहीं दे सकती।
सरकार को जनपद-वार ओबीसी वर्ग को आरक्षण देना है। जाफर ने कहा कि प्रदेश सरकार बयानों में तो ओबीसी वर्ग की हितैषी बन रही है, लेकिन नियम कानून में ओबीसी वर्ग के लिए कोई काम नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण खत्म होना प्रदेश सरकार की बड़ी प्रशासनिक चूक या षडयंत्र है।
ओबीसी को 27% सीट देने का ऐलान
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने का आरोप एक-दूसरे पर लगाना शुरू कर दिया। दोनों ही राजनीतिक दलों ने बिना आरक्षण के चुनाव होने पर ओबीसी वर्ग को साधने के लिए 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी नेताओं को देने का ऐलान किया था।
राज्य निर्वाचन आयोग ने तेज की तैयारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने की तैयारी तेज कर दी है। आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने सभी जिलों के कलेक्टर्स के साथ बातचीत की। उन्होंने साफ कहा कि दोनों ही चुनाव जून माह में करा लिए जाएंगे। पंचायत चुनाव बैलेट पेपर और नगरीय निकाय चुनाव ईवीएम से होंगे।