कूनों में चीतों की हो रही मौत के बाद राज्य सरकार जुटी तैयारी में, रेडियो कॉलर से हो रहा खतरा
भोपाल। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए चीतों की लगातार मौत के बाद राज्य सरकार उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट करने पर मंथन कर रही है। हालांकि इसके लिए गांधी सागर अभ्यारण्य को चीतों का नया ठिकाना बनाने के लिए तैयारियां शुरु हो गई है। जबकि चीतों की मौत की वजह रेडियो कॉलर भी बताई जा रही है। अब देखना होगा कि इन चीतों को शिफ्ट किया जाएगा या फिर वे कूनो में ही रहेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में उनमें से आठ की मौत हो गई है, इसी वजह से इन बचे हुए चीतों को कहीं और स्थानांतरित करने की बात हो रही है। हालांकि प्रदेश में विरोधाभासी बयानों का दौर जारी है। दो महीने पहले तक चीता टास्क फोर्स समिति, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के साथ वन और वन्यजीव विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, मध्य प्रदेश में कुनो से कुछ चीतों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहे थे।
दरअसल, मध्य प्रदेश वन विभाग ने मंदसौर और नीमच जिलों में स्थित गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (जीएसडब्ल्यूएस) में कुछ अफ्रीकी चीतों के स्वागत की तैयारी शुरू कर दी थी। वन विभाग ने तब यह भी दावा किया था कि मप्र सरकार ने घास के मैदान और बाड़ों को विकसित करने के लिए 26 लाख रुपये आवंटित किए हैं।
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के महानिदेशक चंद्र प्रकाश गोयल ने 15 मई को भोपाल दौरे के दौरान इस बात पर खुशी जताई थी कि मध्य प्रदेश सरकार इस साल नवंबर से पहले गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को कुछ जंगली जानवरों के स्वागत के लिए तैयार कर देगी। गोयल ने तब चीतों को राजस्थान में स्थानांतरित करने की संभावना से इनकार किया था। गोयल ने बताया क गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य पहली प्राथमिकता है और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, केएनपी से कुछ चीतों के स्थानांतरण के लिए दूसरी प्राथमिकता है।
हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने अब घोषणा की है कि चीते कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे। मध्य प्रदेश भाजपा के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए यादव ने शुक्रवार को भोपाल आगमन पर कहा था कि चीतों को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा और वे कूनो में ही रहेंगे।
इस पर राज्य वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन हां, मध्य प्रदेश सरकार गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को अगले छह महीने के भीतर तैयार कर रही है। चीतों को स्थानांतरित करने पर अनिश्चितता नर चीतों तेजस और सूरज की हाल ही में हुई मौत के कारणों पर पारदर्शिता की कथित कमी के करीब पहुंच गई है। स्पष्टता के अभाव में एक धारणा यह है कि चीतों की मौत का कारण रेडियो कॉलर से सेप्टीसीमिया हो सकता है।
हालांकि, वन अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ भी तेजस और सूरज की मौत से हैरान हैं और केएनपी की निगरानी टीम को सभी चीतों की जांच करने का निर्देश दिया गया है कि क्या रेडियो कॉलर उन पर असर कर रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने भी इस बात पर हैरानी जताई कि क्या चीतों की गर्दन पर लगाए गए रेडियो कॉलर उनकी मौत का कारण हो सकते हैं।