- बता दें कि भोजशाला विवाद में हिंदू पक्ष ने हरि शंकर जैन अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर कर पूर्ण परिसर हिंदुओं को देने की मांग की है।
- क्यों संवेदनशील है भोजशाला
- ऐसे में लंबे समय से मुस्लिम समाज में नमाज अदा करने का कार्य करते रहे। परिणाम स्वरूप पर दावा करते हैं कि यह भोजशाला नहीं बल्कि कमाल मौलाना की दरगाह है। जबकि हिंदू समाज यह दावा करता है कि यह दरगाह नहीं बल्कि राजा भोज के काल में स्थापित सरस्वती सदन भोजशाला है। इतिहास में भी इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि यहां से अंग्रेज मां सरस्वती की प्रतिमा निकाल कर ले गए जो कि वर्तमान में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित भी है।
मध्य प्रदेश के धार में स्थित विवादित धरोहर भोजशाला का मामला फिर चर्चा में है। भोजशाला को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में दो मई को याचिका दायर की गई है। इसमें भोजशाला पूर्णत: हिंदुओं के अधिकार में देने की मांग की गई है। इसके लिए प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए हैं।
बता दें कि भोजशाला विवाद में हिंदू पक्ष ने हरि शंकर जैन अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर कर पूर्ण परिसर हिंदुओं को देने की मांग की है।
आशीष ने बताया कि नाम से ही स्पष्ट है कि ये राजा भोज के समय में पूजा स्थल था। याचिका में भोजशाला की 33 फ़ोटो भी दाखिल की गई हैं, जिसमें देवी-देवताओं के चित्र व संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं। याचिका में मां वाग्देवी की प्रतिमा लंदन स्थित संग्रहालय से वापस लाने की मांग भी की गई है।
क्यों संवेदनशील है भोजशाला
ऐसे में लंबे समय से मुस्लिम समाज में नमाज अदा करने का कार्य करते रहे। परिणाम स्वरूप पर दावा करते हैं कि यह भोजशाला नहीं बल्कि कमाल मौलाना की दरगाह है।
जबकि हिंदू समाज यह दावा करता है कि यह दरगाह नहीं बल्कि राजा भोज के काल में स्थापित सरस्वती सदन भोजशाला है। इतिहास में भी इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि यहां से अंग्रेज मां सरस्वती की प्रतिमा निकाल कर ले गए जो कि वर्तमान में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित भी है।