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इंदौर. मुआवजा राशि के एक और मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने पांच लाख का जुर्माना भी किया है। दो लाख रुपये का जुर्माना तत्कालीन सीईओ और तीन लाख का जुर्माना प्राधिकरण पर लगाया है।
मामला सिंहस्थ में बने एमआर -11 के एक हिस्से में ग्रीन बेल्ट के मुआवजे का है। सिंहस्थ के चलते प्राधिकरण ने एमआर-11 का निर्माण किया था, जिसमें सडक़ के साथ ग्रीन बेल्ट की जमीन भी ली गई और यह जमीन योजना 114 पार्ट-1 में शामिल रही, लक्ष्मी गृह निर्माण की थी।
2018 में तत्कालीन सीईओ गौतम सिंह ने मुआवजा राशि के प्रकरण में संस्था को यह पत्र लिख दिया कि जो मुआवजा प्राधिकरण द्वारा दिया गया वह अधिक जमीन का है और उतनी जमीन प्राधिकरण ने इस्तेमाल ही नहीं की।
लिहाजा संस्था अतिरिक्त ली गई राशि को जमा कराए। इस मामले में संस्था ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सिंगल बैंच व डबल बैंच ने प्राधिकरण के खिलाफ फैसला दिया।
यह है पूरा मामला
लक्ष्मी गृह निर्माण संस्था की 20 एकड़ जमीन योजना 114 पार्ट-1 में शामिल रही और 1986 में संकल्प 9 के तहत अनुबंध करते हुए संस्था को निजी विकास की अनुमति दी गई और कुछ वर्ष बाद जब सिंहस्थ के दौरान एमआर-11 का निर्माण किया गया.
तब प्राधिकरण ने बिना अधिग्रहण लिए सडक़ के मुख्य मार्ग के साथ-साथ ग्रीन बेल्ट का निर्माण भी संस्था की 3.39 एकड़ भूमि पर बिना मुआवजा राशि दिए ही कर लिया, जिसके चलते संस्था को कोर्ट में याचिकाएं दायर करना पड़ी।
इस पर मुआवजा राशि देने के निर्देश हुए और 2009 में प्राधिकरण ने लगभग 66 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया, लेकिन 2018 में प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ गौतम सिंह, जो वर्तमान में मंदसौर कलेक्टर हैं ने संस्था को एक पत्र लिखकर कहा कि प्राधिकरण ने अधिक जमीन का मुआवजा दे दिया।
इसलिए संस्था हासिल की गई अतिरिक्त राशि जमा करे और विकास शुल्क भी दे। हाईकोर्ट ने जब जांच करवाई तो पता चला कि मुख्य मार्ग के अलावा ग्रीन बेल्ट का निर्माण भी किया गया और अभी हाईकोर्ट की डबल बैंच ने तीखी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की और 5 लाख का जुर्माना किया।