कोरोना के उपचार के लिए भर्ती हो रहे मरीजों को अस्पताल में समय पर खाना नहीं मिल रहा। नि:शक्त और कमजोर मरीज जो हाथ से खा नहीं सकते उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कई मरीज कमजोरी व अव्यवस्थाओं से ही दम तोड़ रहे हैं। हाई कोर्ट ने इंदौर कलेक्टर को निर्देश दिया है कि उपचाररत सभी मरीजों के खाने और दवा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई हो।
शांति मंच के अधिवक्ता अभिनव पी धनोतकर की याचिका पर हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया है। धनोतकर ने इंंदौर में अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला पुष्पा पुरोहित की मौत को आधार बनाते हुए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। इंदौर में मूक बधिर सहायता केंद्र संचालक और समाजसेवी ज्ञानेंद्र पुरोहित की मां पुष्पा पुरोहित को उपचार के लिए एमटीएच में दाखिल किया गया था। इस दौरान उनकी मौत हो गई थी।
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पुरोहित ने शिकायत की थी कि उपचार के दौरान उनकी मां कमजोर हो गई थी। अस्पताल में खाना ही नहीं दिया जाता। बाहर से जो खाना भेजते वो मरीज तक नहीं पहुंचता। कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर स्वजनों को भोजन अंदर तक लेे जाने या खिलाने की व्यवस्था की अनुमति नहीं दी जाती। ऐसे में खाना नहीं मिलने से कमजोर मरीज और गंंभीर होकर समाप्त हो जाते हैं। पुरोहित के शिकायत बाद शांति मंच ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की। कोर्ट ने तुरंत कलेक्टर को अस्पतालों में भोजन व दवा के समुचित प्रबंध करने के निर्देश जारी किए हैं।
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