श्रीलंका की आर्थिक मदद के लिए भारत आया आगे, 5.5 लाख डालर का देगा ऋण

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श्रीलंका पिछले कई महीनों से अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका की मदद के लिए भारत समेत कई देशो ने मदद के हाथ बढ़ाए हैं। आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका ने यूरिया खरीद के लिए भारत से साढ़े पांच लाख डालर का कर्ज मांगा है। कैबिनेट इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है। श्रीलंका सरकार की ओर से बताया गया है कि भारत आयात-निर्यात बैंक के जरिए उक्त राशि देने पर सहमत हो गया है। उधर, समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा ने खाद्य सुरक्षा व पर्यावरण संरक्षण के लिए भी भारत से मदद मांगी है।

वहीं, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ईधन आपूर्ति को लेकर देश के लिए अगले तीन सप्ताह बेहद कठिन हैं। उन्होंने जनता से गैस और ईधन का किफायत से इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है। विक्रमसिंघे ने संसद में मंगलवार को बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय मदद के रूप में चार महीने में 4.8 करोड़ डालर देने की तैयारी में है। इस बीच, श्रीलंका के विदेश मंत्री जीएल पेइरिस ने कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले से मिलकर भारत की एक अच्छे पड़ोसी का धर्म निभाने के लिए प्रशंसा की है।

समाचार एजेंसी प्रेट्र के मुताबिक, श्रीलंका कैबिनेट ने सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्यों के विरोध के चलते 21वें संविधान संशोधन के प्रस्ताव की मंजूरी एक हफ्ते के लिए टाल दी है। सत्तारूढ दल के सांसद चरित हेराथ ने बताया कि कैबिनेट ने निश्चित किया है कि जब तक सभी पार्टियों की इस पर सहमति नहीं बन जाती तब तक इसे मंजूरी नहीं दी जाएगी।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।