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सम्पादकीय – विधि विशेषज्ञ महापौर जी उलटे हैलोजन को सीधा करें, हमारा जीना दूभर है 

डॉ. देवेन्द्र
9827622204
Indore News in Hindi   प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को ख़तम हुए एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अभी पूरे शहर में साज सज्जा बरकरार है, महापौर का आदेश था कि इसे 20 जनवरी तक यथावत रखा जाए, क्योंकि अभी दुसरे भी तीज त्यौहार आने को है. ये साज सज्जा पहले ही दिन से सुर्ख़ियों में रही कभी खूबसूरती में चार चाँद लगाने के लिए तो कभी चोरी हो जाने के कारण पर एक मुद्दा ऐसा है जो अब तक लोगों की नजर से ओझल है , शायद इसलिए क्योंकि उससे आमजन का कोई लेना देना नहीं है।
कोरोना के बाद आपने चमगादड़ तो देखें ही होंगे, जो उलटे लटके रहते हैं और रात होते ही अपना काम शुरू कर देते हैं ठीक वैसे ही, कभी शाम के बाद सड़कों पर निकलना हो तो ध्यान दीजिएगा सड़क किनारे पेड़ों पर हेलोजन लगे हैं वो भी ‘उलटे’, पहला तो इसका क्या तात्पर्य है इसको समझना मुश्किल है, लेकिन फिर भी अगर मान ले कि इसे सजावट के लिए लगाया है तो जरा सोचिये उन पंछियों का क्या जिनका इन पेड़ों पर आशियाना है।
आयुर्वेद का एक नियम है कि सोने और उठने का समय वो होना चाहिए जो पंछियों का है क्योकि वे सुबह के उजाले के साथ उठते है और गोधूलि में अपने घोंसले में लौट आते है उनके पास न तो कोई घडी है न कोई अलार्म बस अंधेरा और उजाला ही उनका दिन और रात है वो पंछी जो सूर्यग्रहण में भी भ्रमित होकर अपने घोंसले में दुबक जाते है उनके घर में हमने लाईट लगा दी, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमें सजावट करनी थी.

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पिछले 15 दिनों से हमने उनका जीवन दूभर कर रखा है, दिवाली पर पटाखों से और संक्रांति में डोर से तो उन्हें आहात करते ही थे और अब हमने नया तरीका खोज निकाला है, हो सकता है ये हमारी बेवकूफी आदत बन जाए और हम हर छोटे बड़े आयोजनों पर हेलोजन उलटी करना शुरू कर दी जाए और अगर ये भेड़ चाल शुरू हुई तो मुमकिन है कि दुसरे शहरों तक भी ये कुप्रथा चल निकले।  
देश में पिछले दो दशकों में अदालतों में जो मुद्दा सबसे ज्यादा उछला वो है राइट टू प्राइवेसी यानी निजता का अधिकार, हमने इसके लिए कई लड़ाइयाँ लड़ी और जीती भी, अंततः हमारे संविधान में आर्टिकल 21 अमर हो गया,
हम अपने अधिकारों के लिए तो जान लगाते है लेकिन अफ़सोस कर्त्यव्यों को भूल जाते हैं भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(A) जो कहता है हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।

क्या उनके निजता हमारा कर्तव्य नहीं है, क्या उनको शांति से रहने का अधिकार नहीं है?

इंदौर ने एक विधि विशेषज्ञ महापौर चुना लेकिन शायद पद मिलते ही वकील साहब ये भूल गए कि यहाँ जो ये सब हो रहा है वो कानूनी तौर पर गलत है भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया जिसके तहत किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
इस मामले पर पीपुल्स फॉर एनिमल इंदौर इकाई की प्रेसिडेंट का कहना है कि हमें इस तरह के काम नहीं करना चाहिए जिससे पशु पक्षी और वातावरण डिस्टर्ब हो, हम पहले ही इतना बर्बाद कर चुके हैं कि हमें ग्लोबल वार्मिंग के साइड इफेक्ट्स भी भोगने ही हैं, धीरे धीरे प्रजातियां खत्म भी होती जा रही हैं, इन लाइट्स को हटाया जाना चाहिए और आगे फिर कभी न लगे इसका भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
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