आखिर क्यों इस बार 35 दिन देर से शुरू होगी दुर्गा पूजा | Navratri | Durga Pooja

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आप सभी जानते ही होंगे आश्विन माह की अमावस्या को महालय अमावस्या कहा जाता है। जी दरअसल यह पितृ पक्ष के अंतिम दिन मनाते हैं जो कल यानी 17 सितंबर को थी।

अब आज से यानी 18 सितंबर से मलमास आरम्भ हो गया है जो 16 अक्टूबर तक चलने वाला है। वहीं इस बार 22 अक्टूबर को षष्ठी और 26 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाने वाली है।

अब बात करें मलमास के बारे में तो इस दौरान ना तो कोई त्योहार मनाया जाता है और ना ही कोई भी शुभ कार्य किया जाता है। जी दरअसल बंगाली महीना आश्विन एक चंद्र महीना है, इस कारण दुर्गा पूजा इसके खत्म होने के बाद ही शुरू की जाती है।

वैसे मलमास को अधिकमास और पुरुषोत्तम मास भी कहते है। कहा जाता है सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।

वहीं इन दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है और हर साल घटने वाले इन 11 दिनों को जोड़ा जाए तो ये एक माह के बराबर होते हैं। यही अंतर होता है जिसे पूरा करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आ जाता है, जिसे मलमास कहा जाता है।

आपको बता दें कि आखिरी बार ऐसा साल 2001 में हुआ था और अब साल 2020 में हो रहा है। जी दरअसल इस बार 17 अक्टूबर से दुर्गा पूजा मनाई जाएगी यानी शारदीय नवरात्र आरम्भ होंगे।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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