मध्य प्रदेश जहां शिक्षा सेवा नहीं व्यवसाय
पूनम शर्मा
दैनिक सदभावना पाती
Madhya Pradesh B.ed College News। यदि व्यवस्थित जांच हो तो प्रदेश में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा इस घोटाले का नाम, जहां कॉलेज संचालक, अधिकारियों और यूनिवर्सिटी की मिलीभगत से हर साल लगभग 100 करोड़ से अधिक के घोटाले को बड़ी शांती से गत कई वर्षों से अंजाम दिया जा रहा है। यह 1000 करोड़ से अधिक का घोटाला निकल सकता है ।
प्रदेश में लगभग 700 नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे थे जिनकी अनियमितता की जांच हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने की तो बमुश्किल 200 कॉलेज सूटेबल पाए गए हैं, इससे भी बदतर स्थिति बीएड डीएड कॉलेज की है। इनकी संख्या भी 700 के लगभग है, इनमें नियमानुसार चलने वालों की संख्या बहुत कम है जहां नियमित छात्र और नियमित शिक्षक मिल पाएंगे जबकि अटेंडेंस रजिस्टर में छात्र और शिक्षकों की नियमित हाजिरी लगती मिलेगी, वस्तुस्थिति में छात्र शिक्षक दोनों नदारद है।
इस बीएड घोटाले में शामिल कॉलेज संचालकों में आधे से ज्यादा ऐसे हैं जो नर्सिंग कॉलेज भी चलाते रहे हैं और बीएड हो या नर्सिंग दोनों में ही घोटाले का तरीका लगभग एक सा है। नर्सिंग कॉलेज घोटाले के हर हथकंडे और बड़े रूप में बीएड कालेजों में आजमाए गए हैं ।
प्रतिवर्ष 100 करोड़ की छात्रवृत्ति डकार जाते हैं घोटालेबाज
एनसीटीई वेबसाइट आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बीएड के लगभग 700 कॉलेज संचालित हो रहे हैं। कुल 58000 के लगभग सीट हैं जिसके लिए लाखों छात्र आवेदन करते हैं। चूँकि शासकीय/अशासकीय स्कूल में शिक्षक भर्ती के लिए बीएड कोर्स होना आवश्यक है और नॉन अटेंडिंग क्लास की सुविधा मिलने से इस कोर्स में भरपूर एडमिशन मिल जाते हैं।
इस पूरे खेल के पीछे सबसे बड़ा कारण है विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति, इस कोर्स में छात्रों को 20000 से 35000 तक की छात्रवृत्ति मिलती है जो कि लगभग फीस के बराबर हो जाती है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में बीएड कोर्स के लिए जारी होने वाली छात्रवृत्ति की राशि लगभग 100 करोड़ है जो कॉलेज संचालकों की जेब में जा रही है ।
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध) की जांच जरूरी क्यों ?
– NCTE Performance Appraisal Report (PAR)
हर संस्था को पीएआर जमा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एनसीटीई की निगरानी प्रणाली का हिस्सा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मान्यता प्राप्त संस्थान निर्धारित मानदंडों, मानकों और दिशानिर्देशों के अनुपालन में काम कर रहे हैं। मप्र के बीएड कॉलेज संचालकों ने इस फॉर्म में भी गलत और मोडिफाईड जानकारी भरी है। विशेष रूप से शिक्षकों के वेतन आदि के बैंक खातों की विवरण में भारी फर्जीवाड़ा हुआ है। स्टाफ के पीएफ और फॉर्म नंबर 16 से इन सभी का खुलासा होगा। आधार कार्ड और इनकम टैक्स विभाग के फॉर्म 16 का मिलान करने पर बड़ा घोटाला सामने आ जाएगा।
– छात्रवृत्ति घोटाला करके सरकारी फंड की लूट
नियमित एडमिशन दिखाकर लाखों छात्रों के नाम पर सरकार से छात्रवृत्ति निकाली गई जबकि छात्रवृत्ति पाने के लिए कॉलेज में 75% उपस्थित होना अनिवार्य है।
– छात्रों से दोहरी कमाई
कॉलेज संचालकों ने छात्रों से डिग्री देने के नाम पर मोटी रकम वसूली, बिना कक्षाएं लगाए, बिना फैकल्टी के कॉलेजों ने लाखों रुपये की फीस ऐंठी, छात्रों से “नॉन-अटेंडिंग” सुविधा के लिए अतिरिक्त पैसा लिया गया।
– नकली फैकल्टी और वेतन हड़पने का खेल
बहुतायत कॉलेजों में शिक्षक सिर्फ कागजों पर है और उनका वेतन भी नाम मात्र के लिए बैंक स्टेटमेंट के लिए बैंक खातों में डालकर निकाल लिया जाता है अर्थात सिर्फ एंट्री घुमाई जाती है। एनसीटीई एवं यूजीसी कोड 28 के नियमों के अनुसार जो वेतन दिया जाना चाहिए वो न देते हुए नाममात्र के शिक्षकों को 3 से 5 हजार रुपए महीना दिया जाता है, अब ईओडब्ल्यू इन फर्जी नामी शिक्षकों से पूछताछ करके सच्चाई सामने लाएगी क्यूंकि ये शिक्षक कहीं और भी कार्यरत है जिनका खुलासा जांच में हो जायेगा।
कुछ कॉलेजों में एमएड के छात्रों को ही फर्जी शिक्षक दिखाकर वेतन निकाला गया। इन फर्जी शिक्षकों को कभी वेतन दिया ही नहीं, पूरा पैसा कॉलेज प्रबंधन हड़प गया, ईओडब्ल्यू अब इन शिक्षकों के नाम बैंक खातों, पीएफ, कोड 28 की जांच करेगी।
– सरकारी फंड का डायवर्जन
कई कॉलेजों ने शिक्षा विभाग और एनसीटीई को गलत जानकारी देकर अनुदान प्राप्त किया। सरकारी सहायता से खरीदी गई संपत्तियां और संसाधन निजी इस्तेमाल में लिए गए। अब जांच एजेंसियां इन लेन-देन के वित्तीय रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।
– संभवतः ऐसे भी मामले प्रकाश में आए है की एनसीटीई और यूनिवर्सिटी में मान्यता प्राप्त संस्थाओं के पते अलग अलग हैं।
– आगे क्या हो सकता है
ईओडब्ल्यू ने कॉलेजों से सात दिन के अंदर सभी वित्तीय दस्तावेज मांगे हैं। दोषी पाए गए कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी और संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। बड़े अधिकारियों और कॉलेज संचालकों पर फर्जीवाड़े और आर्थिक अपराध के तहत केस दर्ज होने की संभावना है।
हमारे स्टिंग ऑपरेशन में इन कॉलेजों ने कबूल किया कि वे नॉन-अटेंडिंग एडमिशन देते हैं।
इनका कहना है
ईओडब्ल्यू ने हमसे जानकारी मांगी है हम कॉलेज को पत्र लिखकर जानकारी एकत्रित कर रहे हैं।
- अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी इंदौर