नेपाल में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन पर पुलिस ने बरसाई लाठियां

sadbhawnapaati
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Police personnel tries to stop the students affiliated with the main opposition party as they take out a torch rally during a protest against the rise in fuel prices in Kathmandu, Nepal June 20, 2022. REUTERS/Navesh Chitrakar

International Desk. भारत के पड़ोसी देश इन दिनों ईंधन की कमी का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान, श्रीलंका के बाद अब नेपाल में तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। राजधानी काठमांडू में सोमवार को छात्रों के संगठन ने बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल की कीमतों का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। काठमांडू में ऑल नेपाल नेशनल फ्री स्टूडेंट यूनियन (एएनएनएफएसयू) के लगभग 100 प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठियां बरसाईं। पुलिस ने कई प्रदर्शकारियों को हिरासत में ले लिया और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
उल्लेखनीय है कि एएनएनएफएसयू मुख्य विपक्षी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की छात्र शाखा है। राज्य के स्वामित्व वाली एकाधिकार नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) ने सोमवार को एक लीटर पेट्रोल और डीजल की कीमत में क्रमशः 12 फीसदी और 16 फीसदी की बढ़ोतरी की। इससे व्यापक कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका पैदा हो गई। इसके विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। यही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों ने सस्ते ईंधन और खाद्य मूल्य नियंत्रण की मांग की।
एक प्रदर्शनकारी हरक बहादुर बोहरा ने बताया यह अयोग्य गठबंधन सरकार लगातार पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ा रही है। हम लोगों इसका विरोध कर रहे हैं। सरकार को कीमतें घटानी होगी, ताकि कम से कम हम एक दिन में दो बार के खाने का खर्च उठा सके। बता दें कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि हुई है। नई कीमत के लागू होने से अब पेट्रोल की कीमत 199 रुपए प्रति लीटर और डीजल और केरोसिन की कीमत 192 रुपए प्रति लीटर हो गई। इसी तरह, विमानन ईंधन की कीमत 185 रुपए प्रति लीटर (घरेलू) और 1,645 डॉलर प्रति किलो लीटर (अंतरराष्ट्रीय) तक पहुंच गई है। बाहरी मोर्चे पर नेपाल को घटते प्रेषित धन का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उसके यहां अभूतपूर्व तरीके आयात में बढ़ोत्ततरी दर्ज की जा रही है।
दोनों ही स्थिति ने देश की वित्तीय सेहत पर काफी बुरा असर डाला है। क्योंकि लंबित भुगतान में देरी होने के साथ-साथ, भयंकर असंतुलन हो रहा है। इन सब के बीच देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार गिरता जा रहा है। घरेलू स्तर पर, आवश्यक वस्तुओं के दाम काफी तेज़ी से बढ़ गए हैं और बैंक आदि भी व्यवसाय आदि के लिए ज़रुरी क़र्ज़ दे पाने में भी असफल हो रहे हैं। ऐसी चंद आर्थिक संकटों की वजह से, नेपाली जनता का एक बड़ा वर्ग इस बात से चिंतित है कि श्रीलंका की तरह नेपाल भी ठीक उसी दिशा की ओर अग्रसर है, जहां आज जिन समस्याओं का सामना नेपाल कर रहा है।
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