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इंदौर में 40.84 करोड़ की लागत से तैयार होगा प्रदेश का पहला गैस आधारित पावर सब स्टेशन; ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाने के लिए बनाया जाएगा

इंदौर में 40.84 करोड़ की लागत से तैयार होगा प्रदेश का पहला गैस आधारित पावर सब स्टेशन; ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाने के लिए बनाया जाएगा
इंदौर की ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाने के लिए मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्रदेश का पहला गैस आधारित सब स्टेशन (जीआइएस) शहर के महालक्ष्मी नगर में बनाने जा रही है। करीब 40.84 करोड़ की लागत से तैयार किए जा रहे जीआइएस के निर्माण से शहर के पूर्वी क्षेत्र में विद्युत ट्रांसमिशन व्यवस्था को मजबूती मिलेगी साथ ही इंदौर को अति उच्चदाब सबस्टेशन का एक और विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। गौरतलब है कि इंदौर में बढ़ती मांग को देखते हुए सब स्टेशनों के निर्माण की जरूरत है लेकिन परम्परागत सब स्टेशन के निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। इसके चलते कंपनी ने यहां गैस आधारित पावर सब स्टेशन बनाने का निर्णय लिया है।
कम जगह लगती है
जीआइएस के निर्माण में परम्परागत एयर इंसुलेटेड सब स्टेशनों के मुकाबले कम जमीन की जरूरत होती है। हालांकि इसकी लागत परम्परागत सबस्टेशन की तुलना में काफी अधिक आती है बावजूद इसके कंपनी ने इंदौर की जरूरत को देखते हुए इसके निर्माण की मंजूरी दी। गैस इंसुलेटेड चेंबर में रहने के कारण इन सबस्टेशनों के उपकरणों में कम खराबी आती है। सामान्यत बोलचाल की भाषा में इसे मेंटेनेंस फ्री सबस्टेशन भी कहा जाता है।
रिमोट से संचालित होगा
इस सबस्टेशन में अत्याधुनिक तकनीक इस्तेमाल हो रहा है जिसकी सहायता से इसे कम से कम आपरेटर के साथ या रिमोट से भी संचालित किया जा सकेगा।
पूर्वी इंदौर व मेट्रो रेल को मिलेगा फायदा
इस सब स्टेशन के निर्माण से पूर्वी इंदौर के अनेक क्षेत्रों जिनमें नई कालोनियों के अलावा कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी शामिल है को उचित वोल्टेज की गुणवत्ता पूर्ण विद्युत प्रदाय किया जा सकेगा। साथ ही इंदौर में बन रही मेट्रो रेल परियोजना के लिए भी पर्याप्त मात्रा में विद्युत उपलब्धता विकल्प के साथ बनी रहेगी।
सब स्टेशनो के रिंग सिस्टम से जुड़ चुका है इंदौर
इंदौर प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है जो चारों ओर से मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी के सब स्टेशनों से एक रिंग के माध्यम से जुड़ चुका है। इंदौर के चारों तरफ सबस्टेशन होने से किसी भी एक क्षेत्र में विद्युत व्यवधान होने या सुधार कार्य करने पर बिजली बंद करने की जरूरत नहीं रहेगी और संबंधित उपकेन्द्रों का भार नजदीकी उपकेन्द्र पर डाला जा सकेगा।
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