मामले पर जारी सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि परीक्षा मई में आयोजित होने वाली है और काउंसलिंग जुलाई के तीसरे और चौथे सप्ताह में होने वाली है।
Education News. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट-पीजी के लिए इंटर्नशिप की समयसीमा बढ़ाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि समय सीमा को 31 जुलाई, 2022 से आगे बढ़ाने से पूरा शैक्षणिक कार्यक्रम बाधित होगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट में यह याचिका डॉक्टरों के एक समूह द्वारा दायर की गई थी। कोविड दायित्वों के कारण इन डॉक्टरों की इंटर्नशिप में देरी हुई थी।
क्या कहा कोर्ट ने?
मामले पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि कट-ऑफ के किसी भी विस्तार के परिणामस्वरूप शिक्षा कार्यक्रम में व्यवधान होगा।
कोर्ट ने कहा कि छात्रों के एक बड़े वर्ग की शिक्षा को बाधित करना संभव नहीं होगा। इसलिए, हमारे विचार में इंटर्नशिप की समयसीमा के मामले में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।
31 जुलाई है इंटर्नशिप की समय-सीमा
मामले पर जारी सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि परीक्षा मई में आयोजित होने वाली है और काउंसलिंग जुलाई के तीसरे और चौथे सप्ताह में होने वाली है।
अगस्त के पहले या दूसरे सप्ताह से कक्षाएं शुरू होने की संभावना है। यदि इंटर्नशिप की समय सीमा 31 जुलाई से आगे बढ़ा दी जाती है, तो पूरा शैक्षणिक सत्र बाधित होना तय है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने यह भी बताया कि सामान्य समय के दौरान इंटर्नशिप की समय सीमा 31 मार्च तक है। लेकिन कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए इस साल इसे आगे बढ़ा दिया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने रखी दलीलें
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता डॉक्टर पहले इंटर्नशिप को पूरा नहीं कर सकते थे क्योंकि वे बीत वर्ष पीएम मोदी की ओर से अपील किए जाने के बाद कोविड दायित्वों के निर्वहन में लगे हुए थे।
अधिवक्ता ने आगे कहा कि अगर कोविड ड्यूटी को इंटर्नशिप की अवधि के रूप में मान लिया जाए तो इस समस्या से निपटा जा सकता है।
हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने इसका विरोध किया और कहा कि कोविड दायित्वों को इंटर्नशिप के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसे स्वीकार करना इंटर्नशिप कार्यक्रमों को कमजोर करने के बराबर होगा।
पीठ ने भी इस बात से सहमति व्यक्त की और कहा कि अगर हम याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हैं तो सब कुछ थम जाएगा और इसका व्यापक प्रभाव होगा।

