उसकी उम्र है महज दस साल मगर इस उम्र में संसार से विरक्ति हो गई। जिस उम्र में बच्चे खूब मस्ती करते हैं। खेलते-कूदते हैं उस उम्र में यह बालक दीक्षा ले रहा है। पांच साल पहले बालक के मन में वैराग्य का भाव जागा था जो अब पूरा हो रहा है। दीक्षा देने के लिए संतगण 600 किमी पैदल चलकर इंदौर पहुंचे हैं।
संसार से विरक्त होकर वैराग्य पथ पर चलने वाले इस बालक का नाम है सिद्धम जैन, जिसकी आयु है महज दस साल। सिद्धम आलीराजपुर के बोरी का निवासी है। इसके लिए इंदौर में बड़ा आयोजन हो रहा है। श्वेताम्बर जैन समाज के आचार्य जिनचंद्रसागर सुरेश्वरजी महाराज के नेतृत्व 20 प्रमुख संत इंदौर पहुंचे हैं।
ये सभी संत एक 10 वर्षीय बालक सिद्धम जैन को दीक्षा देने के लिए भीषण गर्मी में 600 किमी का पैदल सफर तय कर इंदौर आए हैं। संतगणों के आगमन के साथ ही इंदौर में आठ दिनी दीक्षांत समारोह का आयोजन शुरू हो गया।
आयोजन के सूत्रधार नवकार परिवार के प्रवीण गुरुजी, महेंद्र गुरुजी, सोमिल कोठारी ने बताया कि 10 वर्षीय बालक सिद्धम जैन अब सांसारिक जीवन से विरक्त होकर वीर पथ पर अग्रसर हो रहे हैं।
सर्व वीर की शपथ लेकर मोक्ष मंजिल की ओर प्रस्थान करते हुए इस बालक का भव्य दीक्षांत समारोह शहर में आयोजित किया गया है। इसके साथ ही साध्वी मेघवर्षा श्रीजी अपने साथ-साथ साथियों का मंडल लेकर नगर प्रवेश कर रही हैं।
600 किमी चलकर इंदौर पहुंचे संत
रविवार को जैन समाज के इन सभी 20 प्रमुख संतों का नगर प्रवेश कालानी नगर जैन मंदिर में हुआ। ये सभी संत मंडल गुजरात से 600 किलोमीटर का विहार करते हुए आए हैं। इन संतो को पैदल चलकर इस दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए इंदौर आने में 1 महीने का वक्त लगा है। इस अवधि के दौरान मार्ग में आने वाले सभी नगर, गांवों के नागरिकों को संतो के दर्शन और उनके आशीर्वचन का लाभ मिला है।
समारोह की शुरुआत संत मंडल की भव्य अगवानी के बाद कालानी नगर के उपाश्रय में संत मंडल के प्रवचन शुरू हुए। रविवार शाम को इस दीक्षा महोत्सव की जानकारी जन-जन को देने के लिए जैन समाज द्वारा पहली बार पारिवारिक बाइक रैली का आयोजन किया गया। इस बाइक रैली में जैन समाज की धर्म पताका को फहराते हुए 200 बाइक सवार कालानी नगर निकले और तिलक नगर तक पहुंचे।
शहर के विभिन्न मार्गों से इस बाइक यात्रा के गुजरने के साथ ही जन-जन को इस दीक्षांत समारोह का संदेश पहुंचाया गया। बालक सिद्धम जैन भी इस बाइक रैली में शामिल हुआ। उसके साथ ही सांसारिक जीवन की उसकी माता प्रियंका जैन और पिता मनीष जैन भी रैली में शामिल थे।
14 मई को मुख्य समारोह, 15 को नामकरण