फलों और सब्जियों के न्यूट्रिशन में आई भारी गिरावट, सेहत को हो सकता है खतरा

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sadbhawnapaati
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Health News. आमतौर पर हम बहुत सारे फल और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करने पर जोर देते हैं, क्योंकि ये न्यूट्रिएंट्स (पोषक तत्वों) से भरे होते हैं. ये बॉडी को न्यूट्रिशन देने और इम्यूनिटी को बढ़ाने का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है.

हर मौसम कई तरह के अनाज, सब्जियां और फलों के साथ आता है और हम इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि ये स्टोरेज फूड की तुलना में ज्यादा टेस्टी होते हैं.

क्या आप जानते हैं कि समय के साथ फलों और सब्जियों के न्यूट्रिशन वैल्यू में गिरावट आ रही है. जी हां, समय के साथ कई कारणों से फलों और सब्जियों के न्यूट्रिशन में भारी गिरावट आई है, जिससे हमें विभिन्न कमियों का सामना करना पड़ रहा है.

ऐसा क्यों हो रहा है?

नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट इस समस्या की जड़ मिट्टी की गुणवत्ता में पाते हैं. पिछले कुछ दशकों के दौरान, जरूरत से ज्यादा केमिकल के इस्तेमाल, फर्टिलाइजर, सिंचाई आदि सहित विभिन्न कारणों से मिट्टी की गुणवत्ता से समझौता किया गया है. कटाई के तरीके प्राकृतिक तरीकों से बदलकर मशीनरी में बदल गए हैं, जिसने मिट्टी की हेल्थ पर भी असर किया है. इसके अलावा, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण, वायुमंडलीय तापमान बढ़ रहा है और मिट्टी अपनी नमी को और भी कम कर रही है, जिससे फसलों को अच्छी तरह से नहीं रखा जा सकता है, जिससे उन्हें पोषण खोने का खतरा हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने की वजह से फलों, सब्जियों और अन्य फसलों में न्यूट्रिएंट्स की मात्रा कम हो रही है.

ये हानिकारक क्यों है

सिएटल में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में भू-आकृति विज्ञान यानी ज्योमोरफ़ोलॉजी के प्रोफेसर डेविड आर मोंटगोमरी ने लोअर न्यूट्रीशन वैल्यू के प्रमुख जोखिमों में से एक पर जोर दिया, जो हमारी इम्यूनिटी को कम कर रहा है. उनके अनुसार, “न्यूट्रीशन की कमी से हमारे शरीर में से कॉम्पोनेंट्स की कमी हो जाती है जो किसी भी क्रॉनिक डिजीज से बचाव के लिए जरूरी होते हैं, भोजन की प्रिवेंटिव मेडिसिन के रूप में जो वैल्यू होती है, लो न्यूट्रिशन उसे कम कर देता है.”

किन्हें है ज्यादा खतरा

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज एंड हेल्थ के स्पेशलिस्ट क्रिस्टी ईबी (Kristie Ebi) बताते हैं, “गेहूं और चावल दुनिया भर में उपभोग की जाने वाली 30 प्रतिशत से ज्यादा कैलोरी की रचना करते हैं. कोई भी जिसकी डाइट इन अनाजों पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है, विशेष रूप से कम आय वाली आबादी, प्रोटीन, बी विटामिन और माइक्रोन्यूट्रीएंट की खपत में कमी से प्रभावित हो सकते है. डाइट में इन बदलावों से महिलाओं और लड़कियों में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया जैसी बीमारी सकती है.”

बदलते समय के साथ, डॉक्टर अक्सर लोगों को फल और सब्जी आधारित डाइट पर स्विच करने की सलाह देते हैं. साथ ही शाकाहार का चलन दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. इसलिए, जो लोग पूरी तरह से प्लांट बेस्ड पर निर्भर हैं, वे डेयरी और पशु मांस का सेवन करने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा रिस्क पर हैं.
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