इंदौर। कोरोना संक्रमण ने जिस गति से जिले को अपनी चपेट में लिया है, उससे कई परिवार बिखर गए हैं। इस वर्ष मरीजों का आंकड़ा 1800 के पास पहुंच चुका है, वहीं पिछले साल सबसे अधिक 600 मरीज कोरोना पाजीटिव आए थे, इसके बाद संख्या कम हो गई थी। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों को श्रेय मिला था क्योकि बीते साल संक्रमण रोकने के लिए कई तैयारियां की गई थीं की थीं, लेकिन इस साल संक्रमण अधिक होने के बावजूद भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
इस साल संक्रमण के लक्षण अलग-अलग प्रकार के होने के कारण कई लोग समझ ही नहीं सके कि वे कोरोना पाजिटिव हैं। कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए इस साल घर-घर सर्वे की अधिक आवश्यकता थी, साथ ही लोगों को दवाईयों व काढ़ा भी बांटा जाना था। इसके बावजूद प्रशासन ने इस बार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, जिससे कि संक्रमण को कम किया जा सके और इस चेन को तोड़ा जा सके।
बीते साल प्रशासन ने 1856 सर्वे टीम बनाई थीं, जिसमें 4500 लोग शामिल थे। जिन्होंने करीब 30 लाख से अधिक लोगों का सर्वे किया था। इस दौरान करीब 13 लाख 50 हजार लोगों को आयुर्वेदिक त्रिकुट काढ़ा और आर्सेनिक 30 दवाईयां दी गईं थीं। टीम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और शिक्षकों को पूरे सर्वे काम में लगाया था। टीम सर्वे कर एप पर लोगों की इंट्री करती थी, इसके बाद जिस व्यक्ति को कोरोना के लक्षण होते थे, उनके लिए टीम घर आकर दवाईयां देती थी और उन्हे क्वारंटाइन किया जाता था। इस बार लोगों को केवल आयुष विभाग की ओपीडी से ही काढ़ा व दवाई दी जा रही है। इतना अधिक संक्रमण फैलने के बाद भी अब तक केवल 17 हजार लोगों को कागजों पर काढ़ा बांटा गया है।
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घर-घर जाकर हुआ था सर्वे
कोरोना की पहली लहर में जब संक्रमण की स्थिति बिगड़ी तो सर्वे टीम को उनके क्षेत्र के अनुसार जिम्मेदारी सौंपी गई थी। टीम घर-घर जाकर पता करती थी कि किसी सदस्य को सर्दी, खांसी, जुखाम व बुखार जैसे अन्य कोई लक्षण तो नहीं है। यदि इस प्रकार के लक्षण होते थे, तो टीम उसे एप पर अपलोड कर देती थी। अपलोड करने के बाद अस्पताल से 3 बजे तक टीम कोरोना संदिग्ध मरीज के घर पहुंचती और उसे अस्पताल व क्वारंटाइन सेंटर में रखती थी। सर्वे टीम के निरीक्षण के बाद जिन क्षेत्रों में कोरोना के अधिक मरीज होते थे, उसे कंटेनमेंट एरिया में बदल दिया गया था। इससे कि बाहरी व्यक्ति संक्रमित न हो और क्षेत्र के अलावा बाहर संक्रमण न फैले।
रजिस्टर पर हो रही इंट्री
एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि इस बार प्रशासनिक स्तर पर सर्वे करने का कोई निर्देश नहीं है। सामान्य सर्वे किया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता खुद घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। रजिस्टर पर इंट्री की जाती है, लेकिन रजिस्टर देखने वाला कोई नहीं है। केवल इंट्री करने के बाद वह दफ्तर में रखा रहता है। यदि किसी मरीज को भेजते हैं तब भी उसे इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां तक कि एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कई दिनों से बीमार है, उसका सेंपल लेने के लिए तीन दिन बाद टीम पहुंची, लेकिन इलाज की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की है।
बूथ भी नहीं बनाए
कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए संक्रमित क्षेत्रों में बूथ बनाए गए थे। इन पर डाक्टर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पुलिस की लगातार ड्यूटी रहती थी। इससे कि किसी को भी समस्या होने पर तुरंत एंबुलेंस से उसे अस्पताल भिजवाया जा सके। कई लोगों को जांच कराने के लिए भी भटकना नहीं पड़ता था। इस बार एेसी कोई व्यवस्था नहीं हुई।
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