Indore News. कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद अब शासन-प्रशासन का ध्यान लंबित प्रकरणों, फाइल अपग्रेडेशन और राजस्व वसूली की तरफ हो गया है। और इन दिनों तमाम शासकीय विभागों में इन्हीं मामलों में ज्यादा काम हो रहा है। इसके साथ-साथ शत प्रतिशत उपस्थिति पर भी जोर दिया जा रहा है एवं कोरोना वायरस संबंधी दायित्वों की भी समीक्षा की जा रही है। कुल मिलाकर शासन-प्रशासन का ध्यान अब इस बात पर है कि उनके जो रूटीन कामकाज है वह पुन: पटरी पर लौट आएं।
कोरोना वायरस की सक्रियता और संक्रमण के कारण सब कुछ उल्टा पुल्टा हो गया था। शासन के तमाम महत्वपूर्ण कार्य और प्रोजेक्ट इस चक्कर में लंबित होकर भी विलंबित हो गए। वहीं राजस्व वसूली तो पूरी तरह ठप पड़ गई थी। राजस्व वसूली रुक जाने के कारण उसके तमाम प्रोजेक्ट भी रुक गए थे ?
अब हालात में थोड़ा बदलाव आया है। कोरोना वायरस की सक्रियता कम हुई है।
और कामकाज को लेकर धीरे-धीरे गति बढ़ रही है, प्रशासन का ध्यान सबसे पहले इस बात को लेकर है कि पूरी सुरक्षा के साथ कार्यालयों में उपस्थिति शत-प्रतिशत बढ़ाई जाए। शासन प्रशासन का मानना है कि यदि उपस्थिति बढ़ गई और कोरोना संक्रमितों के मामले में समीक्षा के बाद यदि पुनः कामकाज की गति को बढ़ाया जाए,तो बिगड़ी हुई व्यवस्थाओं को पटरी पर लाया जा सकता है, लंबित प्रकरण भी निपटाए जा सकते हैं. और राजस्व की प्राप्ति जो कि फिलहाल कुछ समय से बंद पड़ी हुई थी उसे भी शुरू किया जा सकता है।
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यही कारण है कि जिला प्रशासन और उसके अधीनस्थ विभागों में लगातार समीक्षा का दौर चल रहा है और प्रत्येक कर्मचारी जो कि कोरोना वायरस की ड्यूटी निभा रहा था उससे पूछा जा रहा है कि क्या उसकी वहां आवश्यकता है ? वहीं उसके नोडल अधिकारी से भी उसकी रिपोर्ट तलब की जा रही हैं।
इधर नगर निगम में भी लगभग ऐसा ही हाल है, नगर निगम में भी निगम आयुक्त प्रतिभा पाल अधीनस्थ अधिकारियों के साथ विभागवार समीक्षा करवा रही है । क्योंकि नगर निगम का खजाना भी खाली है और उसके सामने भी प्रोजेक्ट ओं के संचालन के साथ-साथ कर्मचारियों के समय पर वेतन देने जैसा दायित्व है।
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