* बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर में तैयार हो रहे अवैध हथियार बिकने आ रहे खंडवा
* सिर्फ हथियारों के कोरियर ही आते पकड़ में, मुख्य आरोपी आज तक नहीं लगे हाथ
* खंडवा के रास्ते राजस्थान, यूपी, बिहार और पंजाब तक पहुंचते अवैध हथियार
निमाड़ अंचल अवैध हथियारों का गढ़ बनते जा रहा है। बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का निर्माण हो रहा है और इन अवैध हथियारों की मंडी के रूप में खंडवा सामने आ रहा है।
चारों जिलों में पुलिस लगातार कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन इन पर रोक लगाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है।
अवैध हथियारों की तस्करी में अब तक महज कोरियर ही पकड़ में आ रहे है। मुख्य सरगना हमेशा ही पुलिस गिरफ्त से बाहर रहता है। खंडवा से रास्ते निमाड़ के अवैध हथियार अन्य प्रदेशों तक भी पहुंच रहे है।
पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो जितने भी मामले अवैध हथियारों के पुलिस ने ट्रेस किए है, उसमें से 95 प्रतिशत मामलों में खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर के सिकलीगरों द्वारा हथियार निर्माण किए गए थे।
खरगोन के सिगनुर, सिंगुल, चैनपुरा, बड़वानी के उमर्टी और बुरहानपुर के पाचोरी में बसे सिकलीगरों द्वारा अवैध हथियार निर्माण की फैक्ट्री लगा रखी है। इन गांवों में अवैध हथियार लघु उद्योग की तरह बनाए जाते है।
हथियारों को बेचने के लिए खंडवा और अन्य जिलों के जिला मुख्यालय का इस्तेमाल किया जाता है। खंडवा तीनों जिलों के बीच में और रेल मार्ग की सुगमता के चलते अवैध हथियारों का पासिंग स्टेशन भी बनता जा रहा है।
हरियाणा, यूपी, पंजाब में मांग ज्यादा
सिकलीगरों द्वारा बनाए गए हथियारों की मांग मप्र के चंबल क्षेत्र भिंड, मुरैना, ग्वालियर, जबलपुर सहित पंजाब, यूपी, हरियाणा, राजस्थान, बिहार तक है।
बड़ी मात्रा में अवैध हथियार इन क्षेत्रों में बिकने पहुंचते है या वहां से आपराधिक तत्व खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर पहुंचते है।
खरगोन में तो हाल ही में पुलिस ने पंजाब, हरियाणा से हथियार खरीदने आए अपराधियों को पकड़ा भी है। वहीं, पिछले साल ग्वालियर, जबलपुर और उत्तर प्रदेश में हुई अवैध हथियारों की कार्रवाई में बड़वानी और खरगोन के सिकलीगरों का ही नाम सामने आया था।
निमाड़ में अवैध हथियार निर्माण के बाद मप्र के साथ ही अन्य प्रदेशों के जिलों में भी बेचे जाते है। इसके लिए अवैध हथियारों के सौदागर अपने क्षेत्र के बेरोजगार आदिवासी युवाओं का कोरियर के रूप में इस्तेमाल करते है।
एक पिस्टल की डिलीवरी पर कोरियर को 2 हजार रुपए मिलता है। पिछले दो सालों में हुई कार्रवाईयों में अधिकतर में पकड़े गए आरोपी कोरियर ही थे।
ढाई से पांच हजार में मिलती पिस्टल
सिकलीगरों द्वारा नल के पाइप व अन्य सामान से देशी पिस्टल तैयार की जाती है। एक देशी पिस्टल की कीमत ढाई से पांच हजार होती है।
दलाल के माध्यम से अपराधी तक पहुंचने पर पिस्टल की कीमत 8 से 10 हजार रुपए हो जाती है। अब अवैध हथियारों के सौदागर पिस्टल के साथ कारतूस भी उपलब्ध कराने लगे है। जिसके चलते सिकलीगरों के हथियारों की मांग ज्यादा है।
बीएसएफ से भागे फौजी ने फैलाया था अन्य राज्यों में जाल
खरगोन के सिगनुर निवासी लखन सिकलीगर बीएसएफ में जवान था और नौकरी छोड़कर वापस खरगोन आ गया था।
फौजी के नाम से कुख्यात लखन ने ही सिकलीगरों के हथियारों के बिक्री का जाल पंजाब, हरियाणा तक फैलाया था।
जिसके बाद बड़ी संख्या में अपराधिक किस्म के लोगों का खरगोन, बड़वानी में आना-जाना लगा रहता था। फिलहाल लखन फौजी हथियारों की तस्करी में जेल की सलाखों के पीछे है।
ये हुई बड़ी कार्रवाई
-पिछले साल खरगोन पुलिस ने 31 जनवरी को पंजाब बिकने जा रहे अवैध हथियारों की बड़ी खेप पकड़ी थी। कसरावद-बामंदी के बीच बलकवाड़ा पुलिस ने 27 पिस्टल और दो जिंदा कारतूस के साथ चार आरोपियों को पकड़ा था। इसमें तीन सिकलीगर और एक आदिवासी था।
-27 जनवरी 2022 को इंदौर क्राइम ब्रांच ने इंदौर बस स्टैंड से दो सिकलीगरों को पकड़ा था। जिनके पास से 4 देशी कट्टे, 6 देशी पिस्टल और 200 जिंदा कारतूस मिले थे। बड़वानी के अंजड़ निवासी इन सिकलीगरों के घर से भी हथियार, जिंदा कारतूस और हथियार बनाने का सामान भी जब्त किया था।
-खंडवा में मोघट पुलिस ने 26 दिसंबर को सिहाड़ा रोड पर तीन आरोपियों को 6 पिस्टल के साथ पकड़ा था।
खालवा निवासी ये तीनों आरोपी सिकलीगरों से पिस्टल खरीदकर खंडवा में बेचने की फिराक में थे। वहीं, 4 फरवरी को भी मोघट पुलिस ने दो पिस्टल के साथ दो आरोपियों को पकड़ा था।
लगातार कार्रवाई की जा रही है
अवैध हथियारों को लेकर निमाड़ के चारों जिलों में लगातार कार्रवाई की जा रही है। अवैध हथियारों की खरीदी के लिए आए पंजाब, हरियाणा के आरोपियों को भी पकड़ा है।
अवैध हथियार निर्माण पर रोक लगाने के लिए सिकलीगरों के पुनर्वास की योजना भी बनाई जा रही है।
तिलक सिंह, डीआईजी, निमाड़ रेंज