वर्तमान में दूसरे ट्रैक पर मैनुअल तरीके से ले रहे ट्रायल, पक्के लाइसेस के लिए हाईटेक ट्रैक पहले स्मार्टचिप कंपनी के साफ्टवेयर से चलता था।
इंदौर। इंदौर आरटीओ में करोड़ों रुपये की लागत से बना प्रदेश का सबसे हाईटेक ट्रायल ट्रैक अब किसी काम का नहीं रह गया है। यहां आने वाले आवेदकों का ट्रायल अब इस ट्रैक के बजाय दूसरे ट्रैक पर मैनुअल तरीके से लिया जा रहा है। अब एक दूसरा ट्रैक बनाया जाएगा, जिसमें करीब एक साल का समय लग जाएगा। तब तक मैनुअल ट्रायल ही लिए जाएंगे। लगभग चार साल से इंदौर आरटीओ में हाईटेक ट्रायल ट्रैक पर पक्के लाइसेंस के ट्रायल हो रहे थे, लेकिन बीते 1 अगस्त से लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था को आनलाइन कर दिया गया है और पूरी व्यवस्था को केंद्र सरकार के सारथी सर्वर पर शिफ्ट कर दिया गया है।
पक्के लाइसेंस के लिए आवेदक को आरटीओ आना पड़ रहा है, लेकिन आरटीओ में बना ट्रैक स्मार्टचिप कंपनी के साफ्टवेयर पर चलता है, जबकि अब पूरा काम सारथी के हिसाब से होता है, इसलिए इस ट्रैक का उपयोग नहीं हो रहा है। अब एआरटीओ हदयेश यादव और लिपिक अंकित चिंतामण मैनुअल ट्रायल लेते हैं, जिसमें आवेदक को पास फेल किया जाता है। आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि पहले ऐसी उम्मीद थी कि इसी ट्रैक पर काम हो जाएगा। नए साफ्टवेयर और इस ट्रैक को लिंक कर दिया जाएगा, लेकिन अब हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार केंद्र के निर्देश अनुसार अब नया ट्रैक बनाया जाएगा, जिससे यह ट्रैक काम का नहीं रहेगा। ट्रायल की व्यवस्था निजी हाथों में भी जा सकती है।
ऐसा है आरटीओ का वर्तमान ट्रैक – नायता मुंडला में आरटीओ परिसर में करीब चार वर्षों से हाईटेक ट्रायल ट्रैक है। इसमें सेंसर और सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं। इसके अलावा आवेदक की पहचान करने के लिए कार के डैशबोर्ड पर भी एक कैमरा लगा होता है। वाहन चालक द्वारा गलती करने पर कंप्यूटर द्वारा ही उसे फेल कर दिया जाता है। पूरे प्रदेश में इंदौर में लाइसेंस बनवाना सबसे कठिन माना जाता है। इस ट्रैक को पुणे की तर्ज पर बनाया गया था। तत्कालीन परिवहन विभाग की टीम पुणे और पंजाब के भंटिडा में जाकर ट्रैक का निरीक्षण करके आई थी, जिसके बाद यहां पर हाईटेक ट्रैक बनाया गया था।