हर डॉक्टर की कुंडली होगी ऑनलाइन : ब्रिटिश शासन काल में दर्ज हुए डॉक्टर अब अपडेट हो रहा रिकॉर्ड

sadbhawnapaati
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बीमारी के वक्त डॉक्टरों को खोजने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। मप्र के हर सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर की पूरी जानकारी ऑनलाइन देखने को मिल सकेगी। मप्र मेडिकल काउंसिल हर डॉक्टर का डेटाबेस तैयार करा रहा है।
इससे आम लोग डॉक्टर का नाम, पता और विशेषज्ञता की जानकारी देख पाएंगे। डॉक्टर ने कब एमबीबीएस किया और कब पीजी की डिग्री हासिल की यह भी आसानी से देखा जा सकेगा।
मप्र मेडिकल काउंसिल ने इसके लिए प्रदेश के सभी डॉक्टरों को अपनी जानकारी ऑनलाइन दर्ज कर अपना रिवेरिफिकेशन कराने के लिए एक महीने का वक्त दिया है। 15 जून तक सभी डॉक्टर्स को ऑनलाइन अपना आवेदन करना होगा।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1939 में महाकौशल मेडिकल काउंसिल का गठन कर डॉक्टरों के पंजीयन शुरू किए गए थे। बाद में इसका नाम बदलकर मप्र मेडिकल काउंसिल हो गया।
1939 से अब तक मेडिकल काउंसिल के रजिस्टर में करीब 53600 डॉक्टर दर्ज हैं। लेकिन एक बार पंजीयन के बाद दोबारा उनकी जानकारी अपडेट नहीं की गई।
ऐसे में मप्र मेडिकल काउंसिल हर डॉक्टर का डेटा ऑनलाइन अपडेट करा रहा है। इससे मप्र मेडिकल काउंसिल के पोर्टल पर सभी डॉक्टरों की जानकारी मिल सकेगी।

फर्जी डॉक्टर आएंगे पकड़ में

मेडिकल काउंसिल के अफसरों की मानें तो कई डॉक्टर ऐसे हैं जो कई डिग्रियों, डिप्लोमा की गलत जानकारी बताकर इलाज कर रहे हैं।
डॉक्टरों के रिकॉर्ड को दुरूस्त करने के लिए बीते साल दिसंबर से मेडिकल काउंसिल ने रिवेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन अब तक करीब 52त्न डॉक्टरों ने आवेदन नहीं किया।
ऐसे में डॉक्टरों के तमाम संगठनों की मांग पर रिवेरिफिकेशन की समयसीमा छठवीं बार बढ़ाई गई है। ऐसे में पिछले साल मप्र मेडिकल काउंसिल ने रजिस्टर में दर्ज एमबीबीएस और पीजी डिग्री, डिप्लोमा धारी डॉक्टरों के रिवेरिरी-वेरिफिकेशन केशन की प्रक्रिया शुरू की थी।
बीते 27 दिसंबर को री-वेरिफिकेशन का पहला आदेश जारी किया गया था। इसके बाद पांचवी बार समयसीमा बढ़ाई गई है।
डॉक्टर रिवेरिफिकेशन में रूचि नहीं ले रहे हैं ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
ऐसा माना जा रहा है कि रिवेरिफिकेशन न कराने वाले डॉक्टरों के पंजीयन निरस्त करने पर जून में होने वाली अगली बैठक में फैसला हो सकता है।
मार्च 2019 के बाद दर्ज डॉक्टरों को री-वेरिफिकेशन जरूरी नहीं
मप्र मेडिकल काउंसिल के अफसरों ने बताया कि जिन डॉक्टरों ने मार्च 2019 के बाद अपना पंजीयन कराया है उन्हें री-वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं हैं।
प्रदेश में ऐसे 7252 डॉक्टर हैं जिनका मेडिकल काउंसिल में मार्च 2019 के बाद रजिस्ट्रेशन हुआ है। डॉक्टरों के रिकॉर्ड का रिवेरिफिकेशन कराकर उसे ऑनलाइन करने में मप्र मेडिकल काउंसिल करीब 14 लाख रूपए खर्च करेगी।
अंग्रेजी शासन काल के रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए काउंसिल ने विशेष तौर पर कर्मचारी नियुक्त किए हैं। ताकि हर डॉक्टर की जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो सके।
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