7 साल बाद फिर से खुली कविता रैना हत्याकांड की फाइल, दो टीमें करेगी जांच

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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कनाड़िया थाना क्षेत्र में रहने वाली कविता रैना की 7 साल पहले हत्या कर लाश के 7 टुकड़े कर नाले में फेंक दिया था। इस नृशंस हत्याकांड में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था।
लेकिन, कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था। 7 साल बीत जाने के बाद एडिशनल सीपी राजेश हिंगणकर ने दोबारा से जांच करने के लिए दो टीम गठित की है जिसकी जिम्मेदारी डीसीपी क्राइम निमिश अग्रवाल को सौंपी गई है।

दरअसल, पूरा मामला 26 अगस्त 2015 का है, यहां मित्र बंधु नगर में रहने वाली कविता रैना घर से अपने बच्चे को लेने के लिए निकली थी, उसके बाद से लापता हो गई थी। वहीं, दूसरे दिन कविता रैना की तीन इमली चौराहे के नाले में 7 टुकड़ों में शव मिलने से सनसनी फैल गई थी।

एडी. सीपी राजेश हिंगणकर ने पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए एक बार फिर से कविता रैना हत्याकांड की जांच के लिए दो टीमें बनाई है, जिसकी जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच के डीसीपी निमिष अग्रवाल को सौंपी गई है।

इसके साथ ही एडिशनल सीपी राजेश हिंगणकर ने 30 ऐसे ब्लाइंड मर्डर की सूची तैयार की है जो की पिछले दस सालों से नहीं सुलझ पाए है। अब देखने वाली बात होगी कि कविता रैना की हत्या को करीब 7 साल बीत चुके है जिसमें दो डीआईजी संतोष कुमार और हरिनारायण चारी मिश्र भी जांच कर चुके है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।