इंदौरी मिल्खा अब साउथ अफ्रीका में लगाएंगे दौड़, अक्टूबर में होने वाली बैकयार्ड अल्ट्रा मैराथन की तैयारी में जुटे कार्तिक जोशी

sadbhawnapaati
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इंदौर। शहर का नाम रोशन करने वाले धावक कार्तिक जोशी अब विदेश में दौड़ लगाएंगे। दक्षिण अफ्रीका में यह प्रतियोगिता होगी। अक्टूबर में होने वाली इस बैकयार्ड अल्ट्रा मैराथन के लिए कार्तिक अभी से तैयारियों में जुट गए हैं।

बता दें कि कार्तिक की उम्र अबी 20 वर्ष ही है। वे अब तक देश के 15 राज्यों में जा चुके हैं और 115 प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। इसके पहले वे बेंगलुरु में जुलाई में होने वाली 24 घंटे की स्टेडियम रन और अगस्त में 90 किलोमीटर कॉमरेड रन मैराथन में भी हिस्सा लेंगे।

कार्तिक इंदौर से भोपाल के बीच लगातार 200 किमी भी दौड़ चुके हैं। वे दो वर्ल्ड चैम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी अब तक की सबसे लंबी दौड़ 277 किलोमीटर की है, जो उन्होंने 41 घंटे में पूरी की थी।

फिलहाल वे जुलाई से अक्टूबर तक होने वाली तीन बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण अक्टूबर में होने वाली नेशनल चैम्पियनशिप है।

इससे पहले कार्तिक हरियाणा में 41 घंटे में 277 किलोमीटर, गुरुग्राम में 39 घंटे में 262 किमी, बेंगलुरु में 250 किमी, कर्नाटक में 220 किमी, इंदौर से भोपाल 200 किमी, दिल्ली में 203 किमी, मुंबई में 176 किमी तक दौड़ चुके हैं।
कार्तिक जोशी

11 साल की उम्र में 445 किमी चले पैदल

कार्तिक ने बताया कि उनके पास 50 जोड़ी जूते हैं जो उनकी दौड़ के गवाह है। इन जूतों से लगभग 1 हजार किमी दौड़ लगा चुके हैं। उनके पास  रहने को भी कोई आलीशान घर नहीं है।

10 बाय 15 के घर में रहते हैं। कार्तिक के अनुसार जब वे 11 साल के थे तब उन्होंने इंदौर से राजस्थान चारभुजानाथ की यात्रा में हिस्सा लिया और करीब 445 किमी की यह यात्रा मात्र 11 साल की उम्र में पैदल पूरी की।

यही उनके जीवन का अहम मोड़ साबित हुआ और दौड़ने का सिलसिला चल पड़ा। कार्तिक देश की 11 सबसे बड़ी मैराथन में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं, साथ ही 2 बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए भी क्वालिफाई कर चुके हैं।

कोरोना बैन के चलते वीजा नहीं मिल पाने के कारण दोनों बार क्वालिफाई करके भी हिस्सा न ले सके। ऐसे कई मौके आए जब कार्तिक के पैर लगातार रनिंग से इस कदर जख्मी हुए कि दौड़ना तो दूर चला भी न जाए, लेकिन इस हाल में भी वह दौड़े और जीत हासिल की।

रहने को छोटा सा घर, पिता ने लगाई चाय की दुकान

कार्तिक की इस सफलता में उनके परिवार का भी संघर्ष रहा है। पिता ओम जोशी ने चाय की दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण और कार्तिक के अन्य खर्च चलाए।

कई बार उन्होंने लगातार 17 घंटे काम किया। रामबली नगर स्थित छोटी सी चाय की दुकान में ओम जोशी दिनभर काम करते और फिर रात में पूरा परिवार इसी दुकान में सो जाता।

कोरोना काल में यह दुकान बंद हो गई। अब ओम जोशी गारमेंट और शू-रीसेलिंग का काम करते हैं। 1500 रुपये के किराए के कमरे में रहते हैं। 2021 में उन्हें मेजर हार्ट अटैक आया और उसके बाद से काम कम करना पड़ा।

कार्तिक के सामने ऐसे कई मौके ऐसे भी आए जब रेस के लिए बाहर गए तो होटल में रुकने के रुपये नहीं थे।

स्टेशन पर सोए और ब्रेड अचार खाकर गुजारा किया। ऐसी परिस्थिति में भी उनके हौसले को देखते हुए अब पाथ इंडिया प्रायवेट लिमिटेड कंपनी कार्तिक की सभी रन का खर्च उठा रही है।

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