बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके आमिर खान बचपन से ही कहलाते हैं मिस्टर परफेक्शनिस्ट

sadbhawnapaati
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Bollywood News. पूरे बॉलीवुड में ऐसा एक ही स्टार है, जिसके काम के परफेक्शन के सामने सब फीके पड़ जाते हैं और वो हैं सभी के चहेते आमिर खान. ये बात सौ फीसदी सच है कि आमिर के साथ काम करने से बॉलीवुड के फिल्म निर्माता-निर्देशक भी डरते हैं.

ये तो सभी जानते और मानते हैं कि आमिर को अपना हर एक काम परफेक्ट करने की आदत है. उनकी फिल्मों में उनका परफेक्शन नजर भी आता है. बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके आमिर बॉलीवुड में आने के बाद नहीं, बल्कि पहले से ही है मिस्टर परफेक्ट.

ऐसे कई किस्से हैं जो आमिर की लाइफ से जुड़े हुए हैं, जिनके बारें में जानकर ये समझ में आ जायेगा कि आमिर खान क्यों कहते हैं मिस्टर परफेक्शनिस्ट.

फिल्म से जुड़ा एक किस्सा

यह किस्सा है फिल्म यादों की बारात का. इस फिल्म में धर्मेंद्र, जीनत अमान, विजय अरोड़ा और उनके भतीजे तारिक खान के साथ एक नई लड़की काजल खान को कास्ट किया गया था.

इस फिल्म में जरूरत थी एक ऐसे छोटे कलाकार की जो फिल्म में हीरो तारिक खान का रोल कर लें. इस फिल्म के निर्देशक नासिर हुसैन चाहते थे कि यह रोल एक लड़का ही करे ताकि रोल में रियलिटी बनी रहे. फिर क्या था नासिर हुसैन के भाई ताहिर हुसैन के बेटे थे और ताहिर हुसैन के बेटे हैं आमिर खान.

कैसे शुरू हुआ सफर

उस समय आमिर खान केवल 11 साल के ही थे. आमिर ने बचपन से ही एक्टिंग शुरू कर दी थी. फिल्म यादों की बारात ही वह फिल्म है जिसमें फिल्म की शूटिंग के एक शॉट पर ही वहां पर मौजूद लोग समझ गए थे कि आमिर काफी टेढ़ी खीर हैं.

उनसे किसी भी शॉट को कराना हो तो वह एकदम परफेक्ट तरीके से ही करेंगे. इस फिल्म में एक सॉन्ग था जो हीरो के बचपन में फिल्माया गया था, जिसमें सभी स्टार्स के बचपन को दिखाया जाना था.

फिल्म में शंकर के रोल में दिखे धर्मेंद्र, विजय अरोड़ा के रोल में दिखे विजय और रतन के रोल में दिखे तारिक खान. फिल्म में हीरो धर्मेंद्र और विजय के रोल में तो दो बच्चे मिल गए थे, लेकिन प्रॉब्लम आ रही थी तारिक खान के बचपन के रोल को लेकर. इस फिल्म में एक सॉन्ग था, उसे फिल्माने के लिए एक बच्चे की जरूरत और थी.

फिल्म का ये टाइटल सॉन्ग फिल्म के नाम पर ही था ‘यादों की बारात निकली है’. जब नासिर को फिल्म के हीरो तारिक खान के रोल के लिए एक छोटे लड़के का ख्याल आया तो उनके मन में सबसे पहले ताहिर हुसैन के बेटे आमिर खान का चेहरा नजर आया.

फिल्म का एक दिलचस्प सीन

फिल्म के इस सीन में आमिर खान ऐसे नजर आये कि नासिर को भी ये लम्हा ताउम्र नहीं भूला. फिल्म के इस सीन में एक छोटे बच्चे को इमेजिन करना था कि वह एक खिलौने वाला गिटार बजा रहा है, उस समय तक सब कुछ ठीक था, जबतक उस बच्चे की खिलौने वाले गिटार बजाने की बारी नहीं आई थी.

और उस लड़के ने सब को तब हैरान कर दिया जब उसने अपने चाचा यानी कि नासिर हुसैन से शूटिंग को तब तक स्टॉप करने को कहा, जब तक कि उसे गिटार के तारों पर अपनी उंगलियों को हिलाने की आदत न पड़ गई. हैरानी की बात तो ये थी कि उस बच्चे की वजह से पूरी शूटिंग रुकी हुई थी.

जब तक वह बच्चा गिटार पर अपने हाथों की प्रैक्टिस से संतुष्ट नहीं हो गया तब तक फिल्म का वह गाना उसकी हां का वेट करता रहा. ये बच्चा और कोई नहीं बल्कि ये बच्चा ही है आमिर खान. यानी ये समझा जा सकता है कि आमिर खान बड़े होकर परफेक्शनिस्ट नहीं बने बल्कि वो तो बचपन से ही थे परफेक्शनिस्ट खान.

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