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अलीराजपुर में सीएम शिवराज भगोरिया लोक उत्सव को माना जाएगा राजकीय पर्व और सांस्कृतिक धरोहर 

MP News in Hindi. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी घोषणा की है कि अब से भगोरिया लोक उत्सव राजकीय पर्व और सांस्कृतिक धरोहर माना जाएगा। अलीराजपुर में भगोरिया उत्सव में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री ने ये घोषणा की। उन्होंने कहा कि  ‘भगोरिया जनजातीय परंपरा का अभिन्न उत्सव है। हम फैसला कर रहे हैं कि भगोरिया को राजकीय पर्व व सांस्कृतिक धरोहर माना जाएगा।’
अलीराजपुर में आयोजित ‘भगोरिया उत्सव’ में अपनी पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ मुख्यमंत्री ने सहभागिता की और यहां कई तरह की घोषणाएं की। उन्होने कहा कि हमारे जनजातीय पर्व और उनकी लोक कलाएं बनीं रहें, उनका उत्सव और आनंद बना रहे इसके लिए सरकार भी इन पर्वों के आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

सीएम ने लगाई घोषणाओं की झड़ी
सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ अलीराजपुर जिले में आयोजित ‘भगोरिया उत्सव’ में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, गुमान सिंह एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। यहां मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की झड़ी लगाते हुए कहा कि’ जनजातीय संस्कृति और परम्पराएँ अद्भुत हैं।

मैं इन्हें प्रणाम करता हूँ। भगोरिया जनजातीय परंपरा का अभिन्न उत्सव है। अब हम फैसला कर रहे हैं कि भगोरिया को राजकीय पर्व और सांस्कृतिक धरोहर माना जाएगा। हमारे जनजातीय पर्व और उनकी लोक कलाएँ बनीं रहें, उनका उत्सव और आनंद बना रहे इसके लिए सरकार भी इन पर्वों के आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अलीराजपुर की जनता ने माँग की कि हमारे खेतों में नर्मदा का पानी ला दो, हम पाइप बिछाकर जनजातीय भाई-बहनों के खेत में पानी लाने का काम कर रहे हैं। नर्मदा मैया का पवित्र जल हम सोंडवा के पास से लिफ्ट कर अलीराजपुर ला रहे हैं। सोंडवा के 106 गाँवों में भी पानी लाने के लिए सर्वे करवाया जाएगा।’
इसी के साथ मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सोरवा किले का पूरा जीर्णोंद्धार करवाया जायेगा और बाबा छीतू किराड़ जी का भव्य स्मारक भी बनवाया जायेगा। उन्होने कहा कि सन् 1883 में अंग्रेजों को भारत की ताकत बताने वाले हमारे गौरव बाबा छीतू किराड़ जी का भव्य स्मारक बनाकर हम उन्हें सदैव अपनी स्मृति में सजीव रखेंगे।

भगोरिया पर्व की खास बातें
बता दें कि भगोरिया उत्सव जनजातिय समाज में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगोरिया की शुरुआत राजा भोज के समय शुरू हुई। मध्यप्रदेश में झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, खंडवा, धार, बड़वानी और करड़ावद सहित कुछ और इलाकों में ये पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है।आदिवासी समाज होली के पर्व को भगोरिया उत्सव के रूप में मनाते हैं। ये उत्सव होलिका दहन से 7 दिन पूर्व शुरू हो जाता है और भगोरिया पर्व में युवाओं की खास भूमिका होती है। इस दौरान भगोरिया मेला लगता है और अब इसकी चर्चा दुनियाभर में होती है। इस मेले में युवा अपने जीवनसाथी का चुनाव करते हैं और अपने प्रेम का इज़हार भी करते हैं।

गुलाल लगाकर वो अपना प्यार जताते है और इसके बाद साथी की सहमति और परिवार की रजामंदी होने पर रिश्ते पर मुहर लगाने के लिए एक दूसरे को पान खिलाते हैं। मेले में ग्रामीण ढोल-मांदल एवं बांसुरी बजाते हुए पारंपरिक गायन और नृत्य करते हैं,  ताड़ी पीते और मस्ती में झूमते हैं। युवतियां पारंपरिक आभूषण पहनती हैं और हाथों में रंगीन रुमाल लिए गोल घेरा बनाकर सुंदर नृत्य करती हैं। इस तरह ये लोक संस्कृति का एक बेहद रंगीन और सुंदर पर्व है जिसे अब सरकार ने सहेजने की घोषणा कर दी है।
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