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उन्नत भारत अभियान” योजना मप्र में हुई फिसड्डी, 6 वर्ष में मात्र 121 इंस्टीट्यूट रजिस्टर्ड

पूनम शर्मा

Mp News in Hindi। मध्य प्रदेश में लगभग 20 सालों से बीजेपी की सरकार है। केंद्र की योजनाओं को लागू करने में मप्र अग्रणी रहता है लाड़ली लक्ष्मी, तीर्थ यात्रा जैसी कई योजनाओं का शुभारंभ यहीं से हुआ है परंतु यहाँ योजनाएं जोर शोर से लागू होने के बाद दमतोड़ देती हैं क्युंकि इनके पीछे कार्यान्वयन हेतु जिनको जवाबदारी दी जाती है वो अपने काम में फिस्सड्डी होते हैं, ऐसी ही एक योजना “उन्नत भारत अभियान” को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था जिसमें प्रत्येक कॉलेज/इंस्टीट्यूट/यूनिवर्सिटी को इसमें पार्टिसिपेट करना आवश्यक है।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने और गाँवों के विकास करने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने 11 नवंबर 2014 को इस योजना की औपचारिक शुरुआत की थी और बाद में, उन्नत भारत अभियान 2.0 (UBA 2.0) को 25 अप्रैल, 2018 को लॉन्च किया गया था। वर्तमान में UBA 2.0 मोड चल रहा है जो कि इस कार्यक्रम का चुनौती मोड है।

 Unnat Bharat Abhiyan in Indore

इस योजना के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों को गांवों को गोद लेना था जिसमें कालेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को भी शामिल किया जाना था। इसका उद्देश्य पाँच गाँवों के एक समूह के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों को जोड़ना है, ताकि ये संस्थान अपने ज्ञान के आधार पर इन ग्रामीण समुदायों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी में योगदान दे सकें। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को ग्राम पंचायतों में होने वाले कमी और आने वाली सभी समस्याओं को दूर करने के लिए कहा है।

मध्य प्रदेश में ये योजना लागू तो अच्छी गति से हुई थी लेकिन फिर इसकी रफ़्तार धीमी हुई और अब तो यह योजना ज़मीनी स्तर पर रेंगती नज़र आती है। इस योजना के दूसरे संस्करण के लॉन्च होने के लगभग 6 साल बाद भी इसका क्रियान्वयन लगभग शून्य के बराबर है। मप्र में शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति देखें तो 1500 से अधिक निजी और शासकीय कॉलेज हैं।

वहीं 51 निजी विश्वविद्यालय और 8 शासकीय विश्वविद्यालय है जहाँ कुल 17 लाख से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं। मप्र के इन 1500 से अधिक संस्थाओं में से कुल 121 संस्थाओं ने उन्नत भारत अभियान में भागीदारी दर्ज की है। लेकिन इस योजना में उच्च शिक्षा संस्थानों की भागीदारी की निष्क्रियता पर न तो उच्च शिक्षा विभाग का ध्यान है और नहीं इस योजना के शुभारम्भ करने वाले मानव संसाधन मंत्रालय का।

हाल ही में मप्र में फिर से बीजेपी सरकार बनी है जिसमें प्रदेश के मुखिया के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को चुना गया है। अब देखना यह होगा कि इस योजना के क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री कितनी गंभीरता दिखाते हैं।

11 दिसंबर 2023 तक की स्थिति में उन्नत भारत अभियान की वेबसाइट https://unnatbharatabhiyan.gov.in/ के अनुसार देश के 577 जिलों में टोटल एक्टिव पार्टिसिपेटिंग इंस्टीट्यूट 3587 हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों (पार्टिसिपेटिंग इंस्टिट्यूट्स PI) को संबंधित एजेंसी (रीजनल कॉर्डिनेटिंग इंस्टीट्यूट RCI) से समन्वय कर गांवों में सुविधाएं जुटाना है। वेबसाइट में दर्ज जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में 2 रीजनल कोऑर्डिनेटिंग इंस्टीट्यूट है; श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर और मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी भोपाल। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली इस अभियान का नेशनल कोऑर्डिनेटिंग इंस्टीट्यूट है।

अन्य प्रदेशों की स्थिति मप्र से बेहतर

महाराष्ट्र – 621
तमिलनाडु – 520
उत्तर प्रदेश – 285
आंध्र प्रदेश – 239
कर्नाटक – 221
केरला – 192
राजस्थान – 155

(आंकड़े 12 दिसंबर 2023 को वेबसाइट से लिए गए)

बता दें कि “उन्नत भारत अभियान” योजना का आरंभ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के द्वारा ग्रामीण विकास करने के लिए किया गया था। आईआईटी दिल्ली काफी समय से ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम कर रहा है। सितंबर 2014 में एक नेशनल वर्कशॉप आईआईटी दिल्ली में आयोजित की गई थी जिसके अंतर्गत उन्नत भारत अभियान का आरंभ करने का फैसला किया गया था। यह अभियान कई सारे ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहे संगठनों से परामर्श करके आरंभ किया गया था। इसके लिए उच्च शिक्षा के संस्थाओ को शामिल किया गया है, जो आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद कर सके ताकि इस योजना के ज़रिये गांवों के लोगों का विकास हो सके। प्रधानमंत्री मोदी जी के सपनों के उन्नत भारत में इस योजना का महत्वपूर्ण स्थान है।

इनका कहना है
इस संदर्भ में जब जानकारी चाही गई तो मध्य प्रदेश के रीजनल कोऑर्डिनेटर इंस्टीट्यूट श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर के कोऑर्डिनेटर डॉ. कृष्णकांत धाकड़ ने कहा कि अगस्त 2023 के बाद से सभी पार्टिसिपेटिंग इंस्टिट्यूट आईआईटी दिल्ली को सारी जानकारी भेजते हैं लेकिन जब हमारे द्वारा आईआईटी दिल्ली में फोन एवं ईमेल करके जानकारी मांगी गई तो वहां से भी पूरी जानकारी नहीं भेजी गई।
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