इंदौर . संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कमिश्नर कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इंदौर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य, संभाग के सभी जिलों के सीएमएचओ, आरजेडी सहित निजी अस्पतालों के चिकित्सक एवं अन्य विषय विशेषज्ञों के साथ इंदौर संभाग में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति के संबंध में विस्तृत चर्चा की।
बैठक में संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने संभाग के सभी जिलों में कोरोना वायरस के कारण हुई मृत्यु के डेथ ऑडिट के संबंध में चर्चा की।
इस दौरान सभी मेडिकल कॉलेज के डीन एवं संबंधित चिकित्सकों से चर्चा उपरांत पाया गया कि बहुधा मामलों में संक्रमित मरीज द्वारा बिना चिकित्सकीय परामर्श के घर पर ही होम आइसोलेशन में स्वयं का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर ही मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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विलंब से इलाज शुरू होने के कारण कई मामलों में मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है।
आईएमए के डॉ. वेद पांडे ने कहा कि होम आइसोलेशन के मरीजों को लगातार चिकित्सकीय परामर्श लेते रहना चाहिए ताकि उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग की जा सके और स्थिति बिगड़ने से पहले ही उनको एडमिट किया जा सके।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने कहा कि संभाग के नागरिकों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाए कि बिना डॉक्टर की सलाह के होम आइसोलेशन में रहना घातक हो सकता है इसलिए बिना किसी चिकित्सक की सलाह के स्वयं किसी तरह का इलाज प्रारंभ ना करें।
बैठक में उपस्थित चिकित्सकों ने बताया कि डेटा विश्लेषण के उपरांत पाया गया है कि कोविड वैक्सीन के दूसरे डोज लगने के 15 दिन बाद किसी भी मरीज को कोविड संक्रमण ने गंभीर रूप से प्रभावित नहीं किया है। वैक्सीन का दूसरा डोज लगने के बाद मरीज कम समय में ही रिकवर हो जा रहे हैं।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने खंडवा मेडिकल कॉलेज के डीन को निर्देश दिए कि वे जिले के प्राइवेट चिकित्सकों के साथ चर्चा कर होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों द्वारा कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का पालन कराया जाना सुनिश्चित करें।
उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों और चिकित्सकों से कहा कि 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को जरा से भी लक्षण होने पर तत्काल टेस्ट कराया जाए। ऐसे मरीजों में यदि किसी भी बीमारी के लक्षण आते हैं तो उन मरीजों के सभी आवश्यक टेस्ट अनिवार्य रूप से कराए जाएं।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने एमजीएम कॉलेज के डीन डॉ. दीक्षित को निर्देश दिये कि सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति में स्थिरता आने के पश्चात उन्हें चाचा नेहरू अस्पताल में शिफ्ट कराया जाए ताकि सुपरस्पेशलिटी के बेड गंभीर अवस्था के मरीजों को दिए जा सके।
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