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केजरीवाल सरकार पर गहराए संकट के बादल : डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की छापेमारी

आप-भाजपा आमने सामने, सियासी घमासान तेज

नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की है। दिल्ली आबकारी नीति केस में सीबीआई ने सिसोदिया के आवास के अलावा दूसरे कई आरोपियों के ठिकानों पर रेड की है।

अभी तक उनकी पार्टी के 40 मंत्री और विधायक, पुलिस एवं जांच एजेंसियों के फेर में आ चुके हैं। पंजाब में आप के एक मंत्री को मिलाकर अभी तक ‘आप सरकार’ के पांच मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा है। इसे लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है।

आप आदमी पार्टी ने नेता ने दावा किया है कि भाजपा केजरीवाल के बढ़ते ग्राफ की वजह से बौखलाई हुई है। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल ने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें अपने नेताओं पर भरोसा है, तो वे क्यों डर रहे हैं? अगर उन्होंने या उनके मंत्री ने कुछ गलत नहीं किया है तो उन्हें डरने की जरुरत नहीं है।

आप का दावा है कि केजरीवाल की छवि पूरे देश में मजबूत हो रही है। सियासी गलियारे में ऐसी बातें इसलिए भी हो रही हैं, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल ने अपने बयान, प्रेसवार्ता या विज्ञापनों में दिल्ली की बजाए ‘देश’ का नाम लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को अपने तरीके से सेलिब्रेट किया।

इस बीच आप के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि पंजाब में हमने अपनी सरकार बनाई है। ऐसे में भाजपा इस बात से चिंतित है कि पंजाब की तरह हम हिमाचल और गुजरात में भी मजबूत स्थिति में आ सकते हैं।

आप के एक विधायक, जो 2011 में अन्ना आंदोलन से लेकर अभी तक केजरीवाल के साथ हैं, वे कहते हैं कि पंजाब में जो हुआ, वह तो सभी ने देखा है।

हम गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी पूरा दम लगाकर प्रचार कर रहे हैं। हमें इन दोनों राज्यों से काफी उम्मीदें भी हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है, इसलिए कुछ उम्मीदवारों का नाम भी घोषित कर दिया गया है।

हिमाचल प्रदेश में भी आप को बड़ी संभावना नजर आ रही है। इन दोनों राज्यों में इसी साल चुनाव हो सकते हैं।

विधायक ने कहा, देखिये अभी तक केजरीवाल 10/1 के मुकाबले में जीतते आए हैं। इसका मतलब संसाधनों और उनके इस्तेमाल से है।

इसमें केवल आर्थिक तत्व ही नहीं, बल्कि जांच एजेंसियों की सक्रियता भी देखी जाती है। केजरीवाल के पास ‘एक’ संसाधन है, जबकि विपक्ष यानी भाजपा के पास दस संसाधन हैं। केंद्र में सरकार है।

छह मंत्रियों पर लगे आरोप, पांच को छोड़ना पड़ा है पद
दो अक्तूबर 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन होने के बाद पार्टी ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2013 में लड़ा था।

70 सदस्यीय विधानसभा में आप को 28 सीटें मिली थी। कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली में सरकार बना ली, लेकिन 49 दिन बाद केजरीवाल को सत्ता छोड़नी पड़ी।

इसके बाद 2015 के चुनाव में आप ने 67 सीटों के प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज कराई। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी आप ने शानदार प्रदर्शन किया।

हालांकि इस बीच कई उतार चढ़ाव भी आए। केजरीवाल सरकार के मंत्रियों पर आरोप लगे। दर्जनों विधायकों को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ा।

हालांकि पांच छह मंत्रियों को छोड़कर अधिकांश मामलों में आप के विधायक जांच से बाहर आ गए। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर ईडी का शिकंजा कसा गया। जांच एजेंसी ने उनकी 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

वे गिरफ्तार हुए और रिमांड पर भी गए। पीएमएलए के तहत केस की जांच जारी है। रुपये के अवैध लेन देन और मुखौटा कंपनियों के साथ उनके संबंध, ऐसे आरोप भी लगे हैं।

कोई मंत्री रिश्वत में फंसा तो किसी की सीडी हुई वायरल
साल 2018 में दिल्ली सरकार के मंत्री आसिम अहमद खान को भ्रष्टाचार के आरोप में पद छोड़ना पड़ा था। आसिम पर छह लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था।

वे उस वक्त दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री थे। साल 2015 में कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को फर्जी डिग्री मामले में पद खोना पड़ा था। महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री संदीप कुमार, की आपत्तिजनक सीडी वायरल हो गई थी। उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा।

इस साल पंजाब में आप की सरकार बनी तो विजय सिंगला को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। कुछ ही दिन में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लग गया।

उन्हें जेल जाना पड़ा और मंत्री पद भी चला गया। 2014 में घरेलू हिंसा के मामले में दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती को इस्तीफा देना पड़ा था।

सत्येंद्र जैन को छोड़कर आसिम अहमद, जितेंद्र सिंह तोमर, संदीप कुमार, सोमनाथ भारती और विजय सिंगला को कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ना पड़ा है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में प्रकाश जारवाल गिरफ्तार हुए थे।

केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता का डर: संजय सिंह  
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को मनीष सिसोदिया के आवास पर पड़े सीबीआई के छापे के बाद कहा कि ये सब राजनीति से प्रेरित है। केजरीवाल का कद तेजी से बढ़ रहा है।

भाजपा और उसके नेता डरने लगे हैं। बता दें कि इससे पहले केजरीवाल देश में ‘आप’ को कांग्रेस का विकल्प बता चुके हैं। बतौर संजय सिंह, भाजपा को गुजरात में केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता का डर सता रहा है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी ‘आप’ बढ़त लेने की स्थिति में है।

केजरीवाल सरकार के शिक्षा व स्वास्थ्य मॉडल की पूरे देश में चर्चा हो रही है। विदेशों में इस बाबत जानने का प्रयास हो रहा है। इन सबके चलते भाजपा बौखला उठी है। पहले भी केजरीवाल, सिसोदिया व अन्य मंत्रियों के यहां छापे पड़े हैं, लेकिन निकला कुछ नहीं।

भाजपा ने किया पलटवार
पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि केजरीवाल अब 2024 का सपना देख रहे हैं। दिल्ली के हर घर में पानी, भले ही न आता हो, लेकिन शराब आसपास मिल जाती है।

भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, दिल्ली आबकारी नीति केस में दूध का दूध और पानी का पानी होने से केजरीवाल क्यों डर रहे हैं। अगर उन्होंने या उनके मंत्री ने कुछ गलत नहीं किया है तो उन्हें डरने की जरुरत नहीं है।

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