इंदौर। नगर निगम प्रशासन को एमआर 5 इंदौर वायर से छोटा बांगड़दा का महत्व ही समझ में नहीं आ रहा है। किसी जानलेवा हादसे में दस बीस लोगों की मौत होने पर ही सबक मिलेगा। एमआर 5 प्रस्तावित पर सुबह और शाम सब्जी मंडी और हाट का दृश्य नजर आता है।
हजारों लोगों की भीड़ के बीच होते हुए जब बड़े बड़े डंपर कंटेनर और हाइवा ट्रक निकलते हैं तो लोगों की सांस थम जाती है। कभी भी किसी बड़े वाहन का ब्रेक फैल होने पर दर्जनों लोगों की जान जा सकती है। शाम को 5 से लेकर 10 बजे तक इस सड़क की हालत ऐसी रहती है मानो किसी कस्बाई शहर का हाट लगा हो।
मास्टर प्लान में यह सड़क एक सौ पचास फुट चौड़ी बनाई जाना है लेकिन बात 80 फुट पर अटक गई और अब तो सड़क बनाने से ही पल्ला झाड़ा जा रहा है। नगर निगम प्रशासन ने बारिश के पहले अतिक्रमण हटाने तक का काम शुरू नहीं किया। किसी को नोटिस तक नहीं दिया गया। जिन्होंने सड़क तक कब्जे किए वे खुश हैं चलो सड़क चौड़ी करने की बला अगले 6 महिने बारिश बाद तक तो टल गई।
सारे काम लेट लतीफ
नगर निगम प्रशासन का हर काम लेट लतीफ ही चलता है। सरवटे बस स्टैंड से गंगवाल बस स्टैंड तक की सड़क 2018 में बनाना शुरू किया था इसे दो साल में बनाने का टारगेट निश्चित किया गया था लेकिन साढे चार साल बाद भी सड़क चौड़ी होना तो दूर बिजली के ट्रांसफार्मर और खंभे तक नहीं हटाए जा सके। धर्मस्थलों का अतिक्रमण बरकरार है।
कुलकर्णी भट्टा पुल आधा दर्जन बार भूमि पूजन के बाद बनना शुरू हुआ लेकिन 2022 के मई महिने तक भी पूरा नहीं हो सका। शहर के बीचों बीच लाल बहादुर शास्त्री ओवर ब्रिज के जीर्णोद्धार का काम भी अटकता भटकता आज तक पूरा नहीं हो सका है।
नदी सुधार योजना पर सौ करोड़ खर्च करके भी हाथीपाला पुल के दोनों तरफ जलकुंभी ने नदी का पानी सुखाकर नदी में हरियाली बिखेर दी है।
पाटनीपुरा चौराहे से मालवा मिल तक सड़क चौड़ी हो गई लेकिन पुलिया आज त संकड़ी है। ऊपर से पुलिया पर टॉयलेट तैयार कर दिया गया है।