दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर केंद्र से कक्षा 12वीं तक एक समान शिक्षा व्यवस्था की मांग पर जवाब तलब किया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने सोमवार को याचिकाकर्ता की दलील पर गौर करने के बाद शिक्षा मंत्रालय, विधि और न्याय मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय और एनसीटी दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही मामले को 30 अगस्त, 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
भाजपा नेता अश्विनी कुमार ने दायर की है याचिका
बता दें कि भाजपा नेता अश्विनी कुमार की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में केंद्र सरकार को 12वीं कक्षा तक के सभी छात्रों के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली, समान पाठ्यक्रम और मातृ भाषा में पढ़ाई लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में इसके मुद्दे को लेकर समानता की स्थिति, सभी को समान अवसर, बंधुत्व, एकता और राष्ट्र की अखंडता बनाए रखने का हवाला दिया गया है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति में सभी के लिए समान अवसर नहीं
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करता है क्योंकि सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग हैं।
हालांकि, अनुच्छेद 14, 15, 16, 21, 21ए के अनुच्छेद 38, 39, 46 इस बात की पुष्टि करते हैं कि शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है और सरकार क्षेत्र, धर्म, नस्ल, जाति, वर्ग या संस्कृति के आधार पर इसमें भेदभाव नहीं कर सकती है। जबकि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था समाज में भेदभाव पैदा करने वाली है।
याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार ने कहा कि शिक्षा माफिया के दबाव में कक्षा 12वीं तक एक समान शिक्षा प्रणाली अभी तक लागू नहीं की गई है।
इसके अलावा, वर्तमान शिक्षा प्रणाली न केवल लोगों के बीच समाज में विभाजन पैदा कर रही है बल्कि समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, बंधुत्व, एकता और राष्ट्र की अखंडता के खिलाफ भी है।