क्या नए-पुराने सभी नर्सिंग कॉलेजों का होगा निरीक्षण?

दो अलग-अलग आदेशों ने खड़े किए सवाल, भ्रम की स्थिति बनी

sadbhawnapaati
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Mp Nursing College News। मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए जारी किए गए दो अलग-अलग आदेशों ने नर्सिंग कॉलेजों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। एक आदेश में जहां निरीक्षण केवल नए कॉलेजों तक सीमित बताया गया है, वहीं कुछ दिन बाद जारी दूसरे आदेश में सभी संस्थानों के निरीक्षण की बात कही गई है।

क्या है मामला?

16 मई 2025 को जारी पत्र (क्रमांक: 7352/2025) में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए GNM, B.Sc. Nursing, P.B.Sc, M.Sc Nursing पाठ्यक्रम हेतु मान्यता प्रक्रिया की समय-सारणी घोषित की गई थी। इस पत्र के बिंदु 4 में केवल “new institute” के भौतिक निरीक्षण की बात स्पष्ट रूप से लिखी गई है।

लेकिन महज 21 दिन बाद, 6 जून 2025 को जारी पत्र (क्रमांक: 8788/2025) में यही प्रक्रिया पुनः संशोधित की गई। इस बार बिंदु 4 में केवल “Physical inspection of Institutes” लिखा गया है, जो यह संकेत देता है कि अब सभी कॉलेजों – पुराने और नए – का निरीक्षण किया जा सकता है।

सूत्रों का दावा –

मंत्री स्तर पर हुई बैठक में यह बात स्पष्ट की गई थी कि जिन कॉलेजों को CBI निरीक्षण में उपयुक्त (Suitable) पाया गया है, उन्हें दोबारा निरीक्षण से छूट दी जाए। इस संदर्भ में नोटशीट भी जारी की गई थी।

बावजूद इसके, सूत्रों के अनुसार कुछ अधिकारियों द्वारा ऐसी योजना बनाई जा रही है जिसमें सभी कॉलेजों के निरीक्षण की तैयारी है, जिससे कई पुराने संस्थानों में चिंता और असंतोष है।

कॉलेज प्रबंधन में असमंजस –

कई कॉलेज संचालकों का कहना है कि यदि CBI जांच के बाद भी पुनः निरीक्षण कराना है, तो फिर CBI रिपोर्ट की क्या उपयोगिता रही?

साथ ही, इससे न सिर्फ दोहराव होगा बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं भी जटिल होंगी और संसाधनों की बर्बादी भी हो सकती है।

अब सवाल यह है:-

क्या मंत्री जी के निर्देशों की अनदेखी की जा रही है?
क्या यह सभी कॉलेजों पर प्रशासनिक दबाव बनाने की रणनीति है?
या फिर यह पारदर्शिता लाने का एक नया प्रयास है?

जवाब समय देगा

फिलहाल, संशोधित आदेश ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। जब तक इस पर आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आता, तब तक यह सवाल बना रहेगा कि 2025-26 सत्र में क्या सभी नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण होगा, या केवल नए संस्थानों का ही?

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